हनुमान घाट पर श्रमदान
उदयपुर। शहर के छोटे तालाब भूजल पुनर्भरण तो करते ही है , बरसाती पानी को रोक बाढ़ की संभावनो को भी कम कर देते है।लेकिन अधिकांश छोटे तालाब दुर्दशा के शिकार है। प्रशासन को राजस्व रिकार्डो तथा इनके मूल भराव क्षेत्र के आंकडो के अनुसार पुनः इनको मूल स्वरुप में बहाल करना चाहिए।
ये मांग रविवार को झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में आयोजित झील तालाब संरक्षण विषयक संवाद में उभरी। संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि डॉ तेज राज़दान बनाम राज्य सरकार में वर्ष 2007 में पारित फैसले के अनुसार रूपसागर, नैला, तितरडी, फूटा , जोगी सहित 50 से ज्यादा तालाबो को संरक्षित करना था। लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है। तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि छोटे तालाब भी झील विकास प्राधिकरण के दायरे में आते है।न्यायालयी निर्णय के अनुरूप इनके सबमर्जेंस एरिया में कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि फूटा तालाब सहित कई तालाबो में भराव भरकर उन्हें नष्ट किया जा रहा है। यह पर्यावरणीय दृस्टि से तो गलत है ही, न्यायालय की भी सीधी अवमानना है। संवाद पूर्व झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति एवं डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा हनुमान घाट पर आयोजित श्रमदान में झील क्षेत्र से शराब की बोतले, घरेलू कचरा, प्लास्टिक, पॉलीथिन, एवं भारी मात्रा में जलीय घास निकाली । श्रमदान में मोहनसिंह, ललित पुरोहित, दुर्गा शंकर, कुंदन सिंह, पल्लव दत्ता, राम लाल गेहलोत, नितिन सोनी, कमलेश पुरोहित, तेज शंकर पालीवाल, डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।