तेरापंथी सभा के वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पुस्तक के रूप में प्रकाशित गत दो वर्षीय वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 के सान्निध्य में रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में किया गया।
पर्यूषण के तहत छठा दिन जप दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम का आगाज किशोर मंडल के मंगलाचरण से हुआ। रात्रिकालीन प्रतियोगिताओं में तत्काल प्रश्नोत्तरी हुई जिसमें साध्वीवृंदों ने तेरापंथ धर्मसंघ से सम्बन्धित प्रश्न पूछे। सही जवाब देने पर पारितोषिक वितरित किए गए। साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने कहा कि जन्म-मरण की परंपरा का नाश ही जप है। शब्दों में इतनी ताकत होती है कि शांति को अशांति में बदल सकती है। शब्दों में ताकत नहीं होती तो महाभारत नहीं होता। आचार्य महाप्रज्ञ ने भी बताया कि अपने शरीर के तापमान को शब्दों के उच्चारण से कम अधिक किया जा सकता है। जप करना है लेकिन एकाग्रता से करें। एक माला फेरनी है उसमें भी इतने विचार मन में आते हैं कि एकाग्र नहीं कर सकते। घर में पूजा कक्ष के अलावा उपासक कक्ष होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा उर्जा प्राप्त करने के लिहाज से बेहतर है। जप में स्थान, समय, दिशा और आसन बहुत महत्व रखते हैं। आसन बिछाने का और बैठने का दोनों तरह के होते हैं। बैठने के लिए हम सुखासन, वज्रासन, पद्मासन, अर्द्धपद्मासन श्रेष्ठ हैं। बिना आसन बिछाये ध्यान नहीं करना चाहिए। हम जो उर्जा प्राप्त करते हैं तो बिना आसन के वह उर्जा गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती में चली जाती है।
साध्वी शांतिलता ने कहा कि ध्यान और जप दो ऐसे माध्यम हैं जिनके माध्यम से आत्म उद्धार की दिशा में बढ़ा जा सकता है। जप क्यों किया जाए, यह पहला सवाल होता है। जप के मंत्रों में वह शक्ति होती है जो पारिवारिक-सामाजिक समस्याओं का समाधान करता है। व्यक्ति निराश-हताश होता है तब उसे आलम्बन की की जरूरत होती है। इंसान के भीतर अहंकार का भूत होता है। जब तक उसे पांच बार कहा नहीं जाए तब तक वह झुकने को तैयार नहीं होता। जहां जीवन है, वहां समस्या है। जिस समस्या से व्यक्ति निजात पा सकता है। जाप का महत्व पुरातन ऋषि-मुनियों ने बताया। मंत्र का पुनः पुनः उच्चारण जप है। मंत्र को भावों से परिमित कर दिया जाए तो उसकी शक्ति अपरिसीमित हो जाती है। हालांकि पुस्तकों में हजारों मंत्र हैं लेकिन अगर उनके साथ भाव नहीं जुड़े तो उनका कोई अर्थ नहीं है। लयबद्ध शुद्ध उच्चारण के साथ मंत्रों को बोला जाए तो उनका महत्व बढ़ जाता है।
सभा के गत दो वर्षीय कार्यक्रमों का पुस्तक के रूप में प्रकाशित प्रतिवेदन का विमोचन निवर्तमान अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, संरक्षक शांतिलाल सिंघवी एवं सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने किया। फत्तावत ने प्रतिवेदन की प्रति साध्वी कीर्तिलता सहित अन्य साध्वीवृंदों को भेंट की।
निवर्तमान अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने महासभा के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि जैन तेरापंथ कार्ड सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसे हर हाल में बनवाएं। आने वाले समय में इस कार्ड से समाजजनों को काफी लाभ मिलेगा। सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने सभा के आगामी कार्यक्रम बताए। सचिव राजेन्द्र कुमार बाबेल ने सूचनाएं प्रदान की।
रात्रिकालीन स्पर्धाएं : तेरापंथ युवक परिषद के सचिव राजकुमार कच्छारा ने बताया कि गत रात्रि खुला मंच का आयोजन हुआ। इसमें साध्वीवृंदों ने तेरापंथ धर्मसंघ से सम्बन्धित प्रश्न पूछे। सही जवाब देने वाले को पारितोषिक वितरित किए गए। संचालन अध्यक्ष राकेश नाहर ने किया।