उदयपुर। दुख में भी सुख को खोजना एक सकारात्मक चिंतन है वहीं इसके ठीक विपरीत सुख में भी दुख की तलाश करना पूर्णतः नकारात्मक चिंतन है। धर्म की कसौटी मनुष्य का व्यवहार है न कि केवल धर्मस्थान में व्यक्ति की मौजूदगी। मौजूदगी र्प्याप्त नहीं है।
ये विचार तेरापंथ धर्मसंघ के मुनि रवीन्द्र कुमार ने रविवार सुबह आदिनाथ नगर में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि विवेकशील सम्यक चिंतन ही सकारात्मक चिंतन है जिसके माध्यम से हम अपने मन को शांत कर सकते हैं। मुनि दिनकर ने कहा कि ज्ञान का विकास ही सकारात्मक चिंतन का मार्ग है। संचालन करते हुए मुनि अतुल कुमार ने कहा कि दुख की दुकान हमारे भीतर ही है। उसे बाहर खोजने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। स्वागत उद्बोधन तेरापंथी सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने दिया।