उदयपुर। शराब आज मौत का पैगाम हो चुकी है।विविध प्रकार के ड्रग्स व एनी नशीली चीजो से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। नशा मुक्त भारत के निर्माण के लिए राजनेतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है।उक्त विचार नशा मुक्त भारत आंदोलन यात्रा की नैत्री मेधा पाटकर ने राजस्थान महिला परिषद के प्रांगण में जल जंगल जमीन आंदोलन, पीयूसीएल एवम् डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित वृहत सम्वाद में व्यक्त किये।
प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि नशे के चलन व कारोबार से महिलाओं व विधवाओ के साथ गाँव बस्ती में जो मज़दूर अपनी कमाई खो रहे है, उनकी रोजी रोटी बचाने का भी एलान है नशा मुक्ति।नशा और नशे के व्यापार का फैलाव चिंताजनक है। सभी धर्मो में नशा वर्जित है। पाटकर ने नशे के धंधे को सरकारी कारोबार बनाने का विरोध करते हुए उज्ज्वल भविष्य के लिए नशा मुक्त भारत बनाने का आव्हान किया व सरकार से बिहार व गुजरात की तर्ज़ पर शराब बन्दी लागु करने की अपील की। समाजवादी चिंतक सुनीलम ने राजनीति में भरष्टाचार का मूल स्त्रोत शराब,नशा और शराब माफिया व राजनीतिज्ञों का गठजोड़ है। शराब से लाखो लोग काल कवलित हो रहे है।शराब बन्दी महिलाओ में ताकत पैदा करती है। देश की आर्थिक प्रगति नशे के छेद से रिसती जा रही है।
संवाद के प्रारम्भ में नन्द किशोर शर्मा ने यात्रा का स्वागत करते हुए उदयपुर के टूरिस्ट सिटी होने से ड्रग्स, शराब व नशे के अन्य साधनो के बढ़ते प्रचलन पर चिंता व्यक्त की। जल जंगल जमीन आंदोलन के रमेश नन्दवाना ने दक्षिणी राजस्थान की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए आदिवासी समुदाय पर नशे के दुष्प्रभावो को चित्रित किया।नन्दवाना ने मज़दूरों के शोषण का भी जिक्र किया। पीयूसीएल के अश्वनी पालीवाल ने कहा कि पेसा एक्ट लागु करने से शराब बन्दी को सम्भव बताया। आस्था की डॉ जिनी श्रीवास्तव ने कहा कि महिला उत्पीड़न का प्रमुख कारण शराब है। आदिवासियों में गरीबी में शराब एक बड़ा कारण है । आदिवासी विकास मंच कोटड़ा व वागड़ मज़दूर संगठन डूंगरपुर ने पूर्ण शराब बंदी को जरुरी बतलाया। सम्वाद में कॉमरेड मेघराज तावड,इंजी, अब्दुल अज़ीज़ खान,हाजी सरदार मोहम्मद आदि ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन मेमोरियल ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने करते हुए 68 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी।