उदयपुर। हमारे देश के प्रधानमंत्री स्वयं को देश का पहला मजदूर बताते हुए मजदूरों के कल्याण के वादे करते हैं, लेकिन देश के मजदूरों के गंभीर हादसों में बेमौत मारे जाने पर भी उनकी लाश का अंतिम संस्कार लावारिसों जैसा करना पड़ता है, क्योंकि मजदूरों के जान की कोई कीमत नहीं है।
ये विचार सुखेर स्थित दीपा केमिकल्स फैक्ट्री में हुए हादसे में मृतक श्रमिकों के परिवारजन को 10-10 लाख रूपये एवं गंभीर रूप से घायल श्रमिकों को 5-5 लाख रूपये तत्काल रूप से सहायता दिलाने के साथ फैक्ट्री मालिक के विरूद्ध गैर इरादतन हत्या की धारा एवं अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने और उदयपुर की विभिन्न फैक्ट्रीयो/संस्थानों में श्रम कानूनों एवं सुरक्षा उपायों की अवहेलना करने वाले फैक्ट्री/संस्थानों के मालिको/प्रबंधकों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग को लेकर सीटू एवं विभिन्न श्रम संगठनों द्वारा जिला कलेक्ट्री पर आयोजित प्रदर्शन के दौरान हुई सभा में व्यक्त किए।
सिंघवी ने कहा कि किसी प्रभावशाली समुदाय के साथ होने वाले हादसे में सरकार एवं प्रशासन तत्काल मौके पर ही मुआवजा देने की घोषणा करती है, लेकिन मजदूरों के राजनैतिक रूप से प्रभावशाली नहीं होने से सरकार एवं प्रशासन संवेदनहीन एवं नाकारा रवैया अपना कर अपने दायित्व से पल्ला झाड़ लेते हैं।
सभा को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय श्रमिक संगठनों की समन्वय समिति के संयोजक पीएस खींची ने कहा कि सरकार जानवरों के लिए भी बजट में घोषणा करती है, लेकिन मजदूरों को उनकी किस्मत के सहारे छोड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि दुनिया और देश को खुबसूरत मजदूर बनाते हैं, लेकिन मजदूरों को किस्मत के भरोसे छोड़ सरकार ही उनका शोषण कर रही है।
सभा के बाद सीटू के जिलाध्यक्ष राजेश सिंघवी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने अति. जिला कलक्टर (नगर) को ज्ञापन देकर दीपा केमिकल्स फैक्ट्री में हुए हादसे में मृतक श्रमिकों के परिवारजन को 10-10 लाख रूपये एवं गंभीर रूप से घायल श्रमिकों को 5-5 लाख रूपये तत्काल रूप से सहायता दिलाने के साथ फैक्ट्री मालिक के विरूद्ध गैर इरादतन हत्या की धारा एवं अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने और उदयपुर की विभिन्न फैक्ट्रीयो/संस्थानों में श्रम कानूनों एवं सुरक्षा उपायों की अवहेलना करने वाले फैक्ट्री/संस्थानों के मालिको/प्रबंधकों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग की।