हेरिटेज संरक्षण में नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका
उदयपुर। उदयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की संकल्पना में विरासती धरोहरों के संरक्षण एवं मेवाड़ी आर्किटेक्चर नज़र आना चाहिए। ये विचार डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित हेरिटेज संरक्षण में नागरिक भूमिका विषयक संवाद में राजस्थानी मोट्यार परिषद के अध्यक्ष शिवदान सिंह जोलावास ने व्यक्त किये।
जोलावास ने कुम्भलगढ़ की दिवार को चीन की दिवार के बाद सबसे बड़ी बताते हुए राजस्थान की धरोहरों, विरासतों व स्मारकों के संरक्षणों की महती जरुरत बताई। विद्याभवन के प्रो. अरविन्द आशिया ने कहा कि हेरिटेज मात्र मूर्त रूप ही नहीं है वरन संस्कृति, भाषा, व्यवहार भी उसके अंग है। मूल्य आधारित हेरिटेज संरक्षण के कार्य में नागरिको की महत्व पूर्ण भूमिका है। इंटेक के उदयपुर चेप्टर के सचिव सुशिल दशोरा ने कहा कि धरोहर व् विरासत इंसान को इतिहास से रूबरू कराने का सशक्त माध्यम है। उदयपुर का इतिहास बिना यहाँ के दरवाजों, झीलों, महलों को नहीं समझा जा सकता।
शिक्षाविद् डॉ राज कुमारी भार्गव ने कहा कि उदयपुर व राजस्थान के हेरिटेज का सम्पूर्ण फिल्मांकन प्रचारित कर टूरिस्ट के आकर्षण को बढ़ाया जा सकता है। झील हितैषी हाजी सरदार मोहम्मद ,सोहन लाल तम्बोली व प्रकाश तिवारी ने उदयपुर शहरकोट की दुर्दशा बया करते हुए शहर की धरोहरो के संरक्षण की आवश्यकता जताई।
आरएनटी आयुर्विज्ञान के छात्र डॉ. देवेन्द्र कश्यप, इंजी गजेन्द्र चौहान, रोहित ललावत, डॉ. श्रीराम, रामकेश मीणा, नरेश कुमार आदि ने भी उदयपुर के ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की आवश्यकता बतलाई। संवाद का संयोजन करते हुए ट्रस्ट सचिव नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि धरोहरों का संरक्षण मात्र सुंदरता का संरक्षण नहीं अपितु उस काल से रूबरू होना है।