तेरापंथ भवन में संतों का चातुर्मास संपन्न, मंगल भावना समारोह
उदयपुर। शासन श्री मुनि सुखलाल ने कहा कि संतों का तो आना और जाना दोनों ही मंगल होता है। आते हैं तो चार माह तक ज्ञान की गंगा प्रवाहित करते हैं और जाते हैं तब अगले आठ माह तक धर्म का काम सौंप जाते हैं।
वे शनिवार को श्री तेरापंथी सभा के तत्वावधान में बिजोलिया हाउस स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मास के लिए विराजित मुनिवृन्दों के सम्मान में विहार से पूर्व आयोजित मंगल भावना समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
मुनि श्री सुखलाल ने कहा कि 88 वर्ष की अवस्था में अब स्मरण शक्ति इतनी नही रही है। नाम से सभी को पहचान नहीं पाता। युवावस्था में चातुर्मास किये तब के नाम आज भी याद हैं। मृदुता से जितना जल्दी काम हो सकता है, कड़वेपन से नही। श्रावक श्राविकाओं की भी अच्छी उपस्थिति रही। बाल मुनि को पढ़ाना हमारा उद्देश्य था जो पूरा भी हुआ। लिखने की आदत भी थी लेकिन छूट गयी।
मुनि मोहजीत कुमार ने कहा कि स्वागत और विदाई। गणाधिपति आचार्य तुलसी के समय आये थे और अब आना हुआ। यहां का समाज प्रबुद्ध श्रावक समाज है। कुछ हुआ और बहुत कुछ बाकी रहा। उपासक श्रेणी, तत्व ज्ञान का प्रशिक्षण जैसे कुछ काम बाकी रह गए। हस्तकला प्रदर्शनी में जिनका सहयोग रहा, उनका उल्लेख करना नही भूल सकता। समय का नियोजन बद्धता के साथ किया, किसी को संभव है बुरा लगा हो सभी के प्रति खमतखामना। रविवार को यहां से विहार करेंगे।
मुनि भव्य कुमार ने कहा कि हमने क्या पाया और क्या खोया, इसकी समीक्षा का आज दिन है। खुद को ही सोचना है। जितना पाया वो भी जीवन में उतार लें तो भी जीवन सफल है। मुनि जयेश कुमार ने इस दौरान एक गीत प्रस्तुत किया।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने कहा कि मेरे, कार्यसमिति या समाजजनों द्वारा आपका कोई इंगित नही समझ पाए हों, उसके लिए में खमतखमना करता हूँ।
मेवाड़ कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि चार माह के इस काल में ज्ञान, चरित्र, दर्शन और तप का प्रवाह हुआ। हमने कितने कर्तव्यों का निर्वहन किया, यह आत्मालोचन का समय है। सम्पूर्ण मेवाड़ समाज की ओर से आपकी आध्यात्मिक यात्रा के लिए मंगल कामनाएं व्यक्त करता हूँ।
तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष अरुण मेहता ने कहा कि संयम, तप और त्याग के द्वारा समय का वरण करने वाला ही इसको थाम सकता है। ऐसे मुनिवृन्दों का हमें सानिध्य मिला, धर्मसंघ की ओर अग्रसर किया, प्रेरणा दी।
ज्ञानशाला संयोजक फतहलाल जैन ने कहा कि चार माह में ज्ञान की गंगा प्रवाहित की, गुरु इंगित के अनुसार आपकी आगे की यात्रा मंगलमय हो। ज्ञानशाला परिवार की ओर से किसी गलती के लिए खेद प्रकट करता हूं। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष अरुण कोठारी, प्रेक्षा वाहिनी की संयोजिका संगीता पोरवाल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष निर्मल धाकड़ आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
तेरापंथ भवन में चल रहे सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए। महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी कोठारी, उषा चव्हाण ने विचार व्यक्त किये। शशि चव्हाण एवं कमल नाहटा ने गीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला की सदस्याओं ने गीत प्रस्तुति दी।