उदयपुर। भारत देश का दलित व आदिवासी समाज (अनुसूचित जाति व जनजाति) की ओर से प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर उच्चतम न्यायालय के उस फैसले की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहा जिसमें दलित, आदिवासी व शोषित वर्ग को प्राप्त विशेष अधिकारों व संवैधानिक तौर पर एक सामाजिक सुरक्षा प्राप्त हुई थी उसे समाप्त कर दिया गया है।
राजस्थान आदिवासी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपतसिंह भगोरा ने बताया कि संविधान निर्माताओं व भारतीय संसद द्वारा अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 को 11 सितम्बर 1989 को पारित कर 30 जनवरी 1990 को पूरे देश में लागू किया गया था।
उक्त अधिनियम में समय समय पर आवश्यक संशोधन करते हुए अजा-अजजा के व्यक्तियों पर हो रहे अत्याचार व उत्पीड़न को रोकने के लिए कठोर कानून बनाये गए एवं अदालतों की स्थापना की गयी जिससे अजा-अजजा वर्ग के व्यक्तियों को काफी हद तक राहत व जीने का सम्बल मिला था। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के दिए गए फसलें व आदेशों द्वारा उक्त अधिनियम में उल्लेखित कानूनों को बोना कर समाप्त कर दिया हैं। इससे अपराधियों द्वारा दलितों व आदिवासियों वर्ग के व्यक्तियों पर बेखौफ अत्याचार व उत्पीड़न बढ़ने की आशंका प्रबल हो गयी हैं।
भगोरा ने इस ओर प्रधानमंत्री का ध्यान विशेष तोर से दिलाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आपके दल की महाराष्ट्र सरकार द्वारा पूर्ण रूपेण पैरवी नहीं करने तथा आपकी सरकार को न्यायालय द्वारा नोटिस देने व केंद्र सरकार की राय मांगने पर भी अटार्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल उपस्थित नहीं हुए व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को भेजा गया जो मात्र खानापूर्ति कर आ गए जिससे मुकदमा खारीज हो गया।
आदिवासी संघ ने प्रधानमंत्री से मांग की कि देश का आदिवासी एवं दलित समाज आपसे अपेक्षा करता हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति एक्ट के संदर्भ में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करें या संसद में संशोधन कर पूर्व में प्राप्त संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जावें, ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के आत्मसम्मान व स्वाभिमान पुनः प्राप्त हो सके।
राजस्थान आदिवासी संघ के भूपतसिंह भगोरा प्रदेश अध्यक्ष, आदिवासी महासभा के सीएल परमार, आदिवासी एकता परिषद् के गंगाराम मीणा, एकता सेना के सीएल भगोरा, अमृतलाल बोडात, देवीलाल कटारा, धनराज अहारी, विक्रम कटारा अन्य काफी संख्या में छात्र उपस्थित थे।