तीन दिवसीय ’वाह जिंदगी वाह’ कार्यक्रम का दूसरा दिन
बच्चों को टेंशन नहीं टेक्नोलोजी दें
उदयपुर। ब्रह्मकुमार ई व्ही.स्वामीनाथन ने कहा कि जीवन के हर पल को खुशी के साथ जीना चाहियें क्योंकि अगले का कोई भरोसा नहीं है। खुशी एवं हंसी के साथ शरीर के टाॅक्सीन खुलते है जो शराीर को लाभ देते है।
वे आज ब्रह्मकुमारीज़ की ओर से आमजन को खुशियां देने के लिये आयोजित तीन दिवसीय वाह जिदंगी वाह कार्यक्रम के दूसरे दिन के प्रथम सेशन में बोल रहे थे। उन्होेंने कहा कि ईश्वर ने जो यह अमूल्य शरीर दिया है उसके साथ सौतेला व्यवहार नहीं करें। यह शरीर के साथ हर व्यक्ति धनवान है। इसे मेनेटेन करने के लिये प्रतिदिन कुछ समय अवश्य निकलना चाहिये। धन कमानें के लिये शरीर का उपयोग करते है लेकिन इस अमूल्य शरीर को मेनटेन करने के लिये कुछ भी खर्च नहीं करते है।
उन्होंने कहा कि ईश्वर हमें संकल्प में शक्ति प्रदान करता है। संगीत में जिस प्रकार हारमनी होती है ठीक वैसे ही हारमनी हमारें विचारों एवं कर्म में होनी चाहिये ताकि जीवन संतुलित बना रहें। धरती से आत्मा उपर जायेगी और शरीर धरती में मिलेगा। हमें प्रकृति के हर तत्व के प्रति आभारी होना चाहिये।
भोजन का महत्व बाढ़ के समय दिखता है- हमें भोजन का अनादर नहीं करना चाहिये । हम भाग्यशाली है कि हमें दो वक्त का भोजन नसीब हो रहा है। जब बाढ़ में कोई व्यक्ति फंस जाता है तो उसे पूछिये कि भोजन का क्या महत्व है। उसे कई दिनों तक भोजन नसीब नहीं होता है। छोटा बच्चा दिन में 300 बार मुस्कराता है लेकिन हम दिन में 30 बार भी नहीं मुस्कराते है।
उन्होंने कहा कि लीडर कभी रिटायर नहीं होता है। जीवन में हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि जीना को पूर्व राष्ट्रपति अबुल कलाम की तरह और यहंा से जाओं तो भी कलाम की तरह। मृत्यु के समय भी उनके चेहरे पर खुशी के भाव थे।
स्वामीनाथन ने कहा कि राजयोग करने से शरीर में कैंसर,आर्ट अटैक आ सकता है लेकिन उनके आने का असर चेहरे पर दिखाई नहीं देगा। यह राजयोग का प्रभाव होता है।
मनायें मृत्यु उत्सव- जिस प्रकार हम जन्मोत्सव मनाते है ठीक उसी प्रकार हमें मृत्य उत्सव भी मनाना चाहिये क्योंकि जीवन में समाज से लेने के बाद उसे वापस जब लौटाते है तो हमें आनन्द की अनुभूति होती है। मृत्यु के मुहाने पर यदि चेहरे पर खुशी दिखाई देती है तो यह महसूस होता है कि आपका जीवन खुशियों से भरा रहा है।
शिक्षा क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच हमें बच्चों को टेंशन नहीं उस परीक्षा में पास होने की टेक्नोलाजी समझानी चाहिये, तभी हम बच्चें के भीतर घर कर चुके भय को दूर कर पायेंगे। आत्महत्या करने वाला बालक अपने परिजनों को अनेक बार संकेत देता है लेकिन वे उसे समझ नहीं पाते है और बालक को उस समस्या का कोई मार्ग दिखाई नहीं देने पर वह आत्महत्या की राह चुनता है।
हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत नं. 1 से 121 पर पंहुचा- किसी समय विश्व में भारत का हैप्पीनेस इंडेक्स नं. 1 था। उस समय दश का हर नागरिक खुश था और दूसरों को भी खुश रखने का प्रयास करता था लेकिन आज भारत नं. 1 से 121 नम्बर पर पंहुच चुका है और उसका स्थान छोटे से देश भूटान ने ले लिया है। हमें इस गंभीर बात पर मंथन करना होगा कि हमारें देश से खुशी कहंा चली गयी। इस अवसर पर उन्होेंने दर्शकों से खुश रहने के अनेक योग करवायंे।
दूसरे दिन शाम को भी दूसरा सेशन हुआ। इससे पूर्व आज सीए दिवस के उपलक्ष में नियमित सेशन के अतिरिक्त चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स के लिये मेनेजिंग प्रेशर विद प्लेज़र विषय पर विशेष सेशन आयोतिज किया गया, जिसमें अनेक सीए ने भाग लिया।