आज से बहेगी चातुर्मासिक धर्मोपदेश की गंगा
उदयपुर। श्रमणसंघीय आचार्य डा. शिवमुनि महाराज ने कहा कि हमारे जीवन में किसी का सर्वोपरि स्थान व उपकार है तो वह हमारे माता-पिता और गुरू का हैं। आज आप जिन बुलन्दियों को छू रहे हैं या छूयेंगें, आज आप जो कुछ भी है या कल होगें, इसमें केवल आपका ही श्रम नहीं हैं बल्कि माता-पिता और गुरू का भी परिश्रम शामिल है। यदि माता-पिता और गुरू ना होते तो हम जीवन में कामयाब ना होते और ना होंगे।
वे आज महाप्रज्ञ विहार में बाहर दर्शनार्थ आये श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माता-पिता से जन्म मिलता है, गुरू से जीवन मिलता है। ब्रम्हा, विष्णु और महेश के बारे में आता हैं कि ब्रम्हा इस सृष्टि को जन्म देते है। विष्णु सृष्टि का पालक है। महेश सृष्टि का विनाश करते है। यह कितना सच है मैं नहीं जानता हूं कि ब्रम्हा ने हमें जन्म दिया या नहीं दिया पर माता-पिता ने हमें जन्म जरूर दिया है। विष्णु पालन करते है या नहीं लेकिन माता-पिता हमारा पालन-पोषण जरूर करते है। महेश सृष्टि का विनाश करें या ना करें पर माता-पिता व गुरू हमारे जीवन की बुराईयों का नाश जरूर करते है। इसलिए माँ ने जन्म दिया, वह ब्रम्हा है, पिता ने पालन किया वह विष्णु हैं, गुरू ने बुराईयाँ मिटाई वह महेश है। उनकी वन्दना में सभी की वन्दना हो जाती है।
उन्होंने कहा कि इनके उपकारों का ऋण कोई भी चुका नहीं सकता। हमें अपने जीवन ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये जिससे माता-पिता की आँख में आँसू आएं। तुम्हारे माता-पिता कितनी मुश्किलों से जूझकर तुम्हें पढ़ाते, लिखाते हैं। अपनी आवश्यकओं में कटौती करके तुम्हारें अरमानों को पूरा करते हैं जो चीज वे खुद उपयोग नहीं कर पाते तुम्हारे लिए लाकर देते हैं। माँ सुबह से लेकर शाम तक घर का सारा काम मशीन की तरह करती है, सिर्फ इसीलिए की तुम पढ़ लिखकर अच्छे आदमी बनों। पिता दिन रात सर्विस या बिजनेस में अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिये जी-तोड़ मेहनत करते है। माता-पिता के हम पर अनेे उपकार है इसलिये उन्हें यूं ही जाया ना करें। माता पिता से बड़ा कोई भगवान नहीं है। इस पृथ्वी पर माता-पिता के चरणों में ही जन्नत है। जो अपने माता-पिता के चरणों में झुकता हैं फिर उसे किसी के पैर पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती।
गुरूवार से बहेगी चातुर्मासिक धमोपदेश की गंगा- अतिथि आमंत्रण समिति के संयोजक एवं नाकोड़ा ज्योतिष कार्यालय के संस्थापक कान्तिलाल जैन ने बताया कि गुरूवार से पातः पौने नौ बजे से 10 बजे तक महाप्रज्ञ विहार में श्रमणसंघीय आचार्य डाॅ. शिवमुनि माहराज,युवाचार्य महेन्द्रऋषि महराज आदि ठाणा-10 के प्रवचनों की शुरूआत होगी। चार माह होने वाले चातुर्मास में धर्मोपदेश की गंगा बहेगी। इसमें प्रतिदिन आचार्यश्री के मुख्य से निकलने वाले संदेश का श्रवण करने के लिये उदयपुर ही नहीं वरन् मेवाड़ के अनेक स्थलों से प्रतिदिन हजारों श्रावक-श्राविकाएं आयेंगे।
प्रवचन स्थल पर जाने के लिये होगी विशेष यातायात व्यवस्था- यातायात संयोजक संजय भण्डारी एवं सह संयोजक प्रवीण पोरवाल ने बताया कि महाप्रज्ञ विहार में प्रवचन श्रवण के लिये जाने वाले श्रावक-श्राविकाओं के लिये शहर के विभिन्न उपनगरों मल्लातलाई, अंबामाता, राड़ाजी चैराहा, दैत्य मगरी, फतहपुरा, हिरणमगरी से. 3, 4, 5, 6, ग्लास फेक्ट्री आदि स्थानों से आने वाले श्रावक-श्राविकाओं के लिये ओटो एवं बसों की व्यवस्था की गई है। अर्थ समिति संयोजक दिलीप सुराणा, टीनू माण्डावत, बसंत कोठिफोड़ा, पीसी कोठारी, राजकुमार गन्ना, विजय सिसोदिया, प्रवीण पोरवाल, नरेन्द्र सेठिया, रमेश खोखावत, डाॅ. सुधा भण्डारी, मयंक करणपुरिया सहित अनेक संयोजक व्यवस्थाओं को बनाने में लगे हैं।