बाल संस्कार शिविर में 1500 बच्चों ने लिया भाग
उदयपुर।महाप्रज्ञ विहार में आचार्य शिवमुनि के सानिध्य में समाज के बच्चों के लिए विशेष रूप से ध्यान साधना एवं बाल संस्कार शिविर का आयोजन हुआ। चातुर्मास संयोजक विरेन्द्र डांगी ने बताया कि शिविर में 1500 से ज्यादा बच्चों एवं उन के परिजनों ने हिस्सा लेकर ध्यान साधना का लाभ लिया।
इस दौरान शिविर कार्यक्रम के बाद शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल की कार्यकारिणी की घोषणा के साथ ही आचार्यश्री के सानिध्य में उनका शपथ ग्रहण भी हुआ। शपथ ग्रहण में संरक्षिका, अध्यक्षा सहित कार्यकारिणी की सभी सदस्याएं उपस्थित हुई।
ध्यान साधना एवं बाल संस्कार शिविर में बच्चों को 15 मिनिट तक बच्चों को मौन साधना करवाई गई। बच्चों को सो हम की ध्वनि के साथ ही आचार्यश्री ने बच्चों को गहरी श्वास लेना एवं उसे छोड़ने का तरीका बताया। इस दौरान बच्चों को मन, वचन एवं काया को शांत करके उनसे मैं सिर्फ आत्मा हूं का अहसास कराया।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने बच्चों को ध्यान के दौरान सो हम शब्द का उच्चारण करने का अर्थ समझाते हुए कहा कि सो का अर्थ है वो और वो कौन परमात्मा और हम का अर्थ है मैं स्वयं मैं कौन यानि आत्मा। यानि मैं आत्मा हूं और जो आत्मा है वो ही परमात्मा है। उन्होंने बच्चों से कहा कि 24 घंटों में कम से कम 15 मिनिट सवेरे ओर 15 मिनिट शाम को अपनी सुविधानुसार ध्यान शिविर जरूर करने की प्रेरणा दी। ऐसा करने से आपके विचार शांत रहेंगे। किसी भी प्रकार का तनाव आपके उूपर हावी नहंी होगा। उन्होंने कहा कि आत्मा में आनन्द है, शांति है और परम सुख ही आत्मा में ही है। ध्यान से भीतर का ज्ञान बढ़ता है।
बाल संस्कार शिविर में दी अच्छे संस्कारों की प्रेरणा-
आत्मध्यान शिविर के बाद बच्चों के लिए बाल संस्कार शिविर हुआ। आचार्यश्री ने बच्चों को जीने की कला सिखाते हुए कई सूत्र दिये। उन्होंने बच्चों से कहा कि हमेशा अपनी लिखावट सुन्दर और स्पष्ट रखना क्योंकि यही है जो आपके व्यक्तित्व का आंकलन करती है। मित्र उसे ही बनाना े जो अपने से ज्यादा बुद्धिमान हो और पढ़ने में होशियार हो। हमेशा अच्छे और संस्कारित बच्चों की संगति में ही रहना। जीवन में हर प्रकार के नशे से दूर रहना। हमेशा शाकाहारी भोजन ही करना। जो लोग हमारे भारत देश और दुनिया में महान बने हैं पूजनीय बने हैं उनके बारे में जानकर और समझ कर उनके जीवन से हमेशा प्रेरणा लेना। हमेशा सत्य बोलना, झूठ न बोलना और न ही उसे स्वीकार करना
शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल की कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण
श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संध के अध्यक्ष औंकारलाल सिरोया ने बताया कि बाल संस्कार शिविर के बाद शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल की कार्यकारिणी की घोषणा एवं आचर्यश्री के सानिध्य में उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ। समारोह में अध्यक्ष पिंकी माण्डावत ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यकारिणी की घोषणा की एवं शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल के क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन शिल्पा पामेचा ने किया। समारोह में औंकारलाल सिरोया, विरेन्द्र डांगी, गणेश लाल मेहता,संजय भण्डारी, महेन्द्र तलेसरा,ं टीनू माण्डावत, रमेश खोखावत, दिनेश चोरड़िया, रजनी डांगी भूरीबाई सिंघवी, निलीमा सिरोया, मधु बडाला, सुमित्रा सिंघवी, नैना नवलखा, टीना बापना, रेख बापना, सुलेखा, रागिनी मोदी, रेखा मेहता, कृष् मोगरा सहित कार्यकारिणी की सभी णा बाबेल, भावना सिंघवी, मंजू पोखरना सहित सभी सदस्याएं उपस्थित थी। आचार्यश्री ने सभी को मंगल आशीर्वाद दिया और उनके सानिध्य में सदस्याओं का शपथ ग्रहण हुआ। समारोह में औंकारलाल सिरोया ने कहा कि आज श्रीसंघ में शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल के रूप में एक ओर नया अध्याय जुड़ गया हैं। इससे संघ को और मजबूती मिलेगी और सभी मिल कर काम करेंगे। विरेन्द्र डांगी ने कहा कि सन 2014 में शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल एवं युवति मण्डल के गठन का विचार आया था। उन्होंने कहा कि इसे शिवाचार्य श्राविका बहुमण्डल ही नहीं कह कर इसमें युवति मण्डल को जोड़ें। क्योंकि आज की युवतियां ही कल की बहुएं बनेगी। इससे संघ को ओर नई उॅर्जा मिलेगी। उन्होने कहा कि इसके चुनाव भी संघ के साथ ही होंगे। इस मण्डल का चातुर्मास के दौरान तो पूरा सहयोग रहेगा ही साथ ही वर्षभर चलने वाले सामाजिक कार्यों एवं समाज के गरीब तबके की प्रतिभाओं और बच्चियों को आर्थिक सहायता उपलबध कराने का भी रहेगा। इस दौरान अध्यक्ष भूरी बाई सिंघवी ने भी अपने विचार रखे।