श्री महर्षि काॅलेज आॅफ वैदिक एस्ट्रोलोजी का दीक्षान्त समारोह
उदयपुर। श्री महर्षि काॅलेज आॅफ वैदिक एस्ट्रोलोजी का दीक्षान्त समारोह आज सौ फीट रोड़ स्थित का ग्रीन में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव एवं विशिष्ठ अतिथि इण्डियन स्टेस्टिकल इन्स्टीट्यूट,कोयम्बटूर के हेड प्रो. राजगोपालाचार्य थे।
समारोह का संबोधित करते हुए प्रो राजगोपालाचार्य ने कहा कि स्त्री जातक हमारंे वर्तमान, भूत, भविष्य की की नींव है। हमें उनका सम्मान करते हुए जीवन के मार्ग पर प्रशस्त होना चाहिये,तभी जीवन में सफलता प्राप्ति संभव होगी। यदि समाज में नारी की अपमान होता रहा तो एक दिन अपने पतन का कारण स्वयं बनेंगे।
इस अवसर पर कैलाश मानव ने सभी उपाधि धारकों के उज्जवल भष्यि की कामना करते एवं उन्हें शुभकामनायें देते हुए कहा कि ज्योतिष एक प्राचीनतम एवं सेवा का विज्ञान है जिसका उपयोग समाज सेवा एवं जन कल्याण हेतु किया जाना चाहिये।
समारोह को संबोधित करते हुए रूद्रदेव शास्त्री ने जेन्डर डिटरमिनेशन थू्रू वैदिक एस्ट्रोलोजी विषय पर बोलते हुए कहा कि कहा कि हमारंे सनातन धर्म में 16 संस्कार दिये गये है और उसमें से प्रथम गर्भ संस्कार है। जिसमें जन्म लेने वाले बालक सया बालिका का पता लगाया जा कसता है लेकिन इसका उपयोग भारत में निषेध है। इसका उपयोग ज्ञानार्जन के लिये कर सकते है लेकिन व्यावहारिक जीवन मंे इसका उपयोग करना काननू गलत है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ ज्योतिष एवं पण्डित डाॅॅ. भगवती श्ंाकर व्यास ने शोधार्थियों को आने वाले समय में शोध से जुड़े रह कर ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करने की प्रेरणा दी।
संस्थान के निदेशक विकास चैहान ने बताया कि समारोह में 50 पुरूष-महिला शोधार्थियों को उपाधि से विभूषित किया गया। अंत में आभार विकास चैहान ज्ञापित किया।