उदयपुर। देश के ख्यातनाम पत्रकार वेदप्रताप वैदिक ने कहा कि देश में पिछले कुछ वर्षों से बलात्कारों एवं रिश्वतखोरी की घटनाओं में जिस प्रकार से वृद्धि हुई है, उससे मन व्यथित हुआ।
वे आज राउण्ड टेबल इण्डिया 253 द्वारा होटल विष्णुप्रिया में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। ऐसे मामलों में इस प्रकार की कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिये कि बलात्कारी एवं रिश्वतखारों को जेल मंे नहीं सरेआम न केवल फांसी पर लटकाना चाहिये वरन् उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को न जलाया और न दफनाया जाना चाहिये,उनके शव को कुत्तों के सामनें फेंक देना चाहिये और उसका टीवी पर लाईव प्रसारण होना चाहिये ताकि नौजवान हो या किसी भी व्यक्ति के मन आने वाले बलात्कार के विचार से पहले ही उस सजा को देखकर पसीना आ जाये।
सबसे ज्यादा बलात्कार की शिकार महिलायें आदिवासी, मजदूरी करने वाली,पिछड़ी जाति की, किसानों की बेटियां होती है। देश की न्याय व्यवस्था इतनी अकर्मण्य हो चुकी है न्याय आने में वर्षो लग जाते है। यदिन्यायालय का फैसला इतनी सख्ती से लागू होगा तो इस प्रकार की घटनायें नहीं होगी। एक प्रश्न के जवाब में उन्होेंने कहा कि इस प्रकार की सजा भारत जैसे देश के परिप्रेक्ष्य में भी लागू हो सकती है बशर्ते सर्वोच्च न्यायालय संसद को इस प्रकार का काननू बनाने के लिये बाध्य करें।
वैदिक ने कहा कि देश की राजनीति ऐसे संकट में फंसी हुई है जहंा बिना समूह, धर्म, जाति, समुदाय के आधार पर राजनीति नहीं हो सकती है। देश में रिश्वतखोरी के बढ़ने के पीछे जनता का कमजोर होना है और वह रिश्वतखोरों से अपने स्वार्थ के लिये समझौता कर लेती है।
उन्होेंने कहा कि देश नेतृत्वविहिन हो चुका है। आपका नेता सफाईकर्मी भी हो सकता है। जरूरी नहीं कि वह राजनेता ही हो।मनुश्य को हर समय आनन्द में रहना चाहिये। लालच में रहकर काम करने वाले का जीवन व्यर्थ है। शान्ति से भी कठिन से कठिन समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। इस बात का जीवन में ध्यान रखें कि आप जिस पद पर काम कर रहे है वह पद आपके उपर कभी हावी नहीं हो, तभी आप जीवन में सफल हो सकते है। देश में ऐसा एक उदाहरण है जो पूर्व प्रधनामंत्री एस.डी.देवगौड़ा थे जो प्रधनामंत्री के पद को अपनी जेब में रखकर चलते थे और इसी कारण वे आज भी जीवित है।
वैदिक ने कहा कि यदि न्यायालय का निर्णय समयबद्ध होगा तो देश मंे 3 करोड़ मुकदमें लम्बित नहीं होंगे। आजाद मुल्क का विश्व में भारत का अलावा ऐसा कोई देश नहीं होगा, जहंा के निर्णय विदेशी भाषा में लिखे जाते हो। यदि न्यायालय में भी हिन्दी अनिवार्य कर दी जाय तो निर्णय जल्दी होंगे। देश में न्यायिक व्यवस्था चरमरा गयी है। इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिये कि यदि कोई वकील अंग्रेजी में बहस करना चाहे तो उसे जुर्माने के रूप में 5 लाख रूपयें जमा कराने होंगे। यदि ऐसा होगा तो 3 करोड़ मुकदमे जल्दी से निस्तारित होंगे।
उन्हांेंने कहा कि देश में करोड़ों लोग जानवरों की जिदंगी जी रहे है। देश में पोषण की कोई व्यवस्था नहीं है। चिकित्सा व दवा के बिना हजारों लोग प्रतिदिन मर रहे है। इससे पूर्व टेबल के चेयरमेन प्रतीक नाहर ने वैदिक का पगड़ी पहनाकर एंव उपरना ओढाकार स्वागत किया। सचिव मनन नाहर ने भी वैदिक का उपरना ओढ़ाकर स्वागत किया। संचालन प्रियंाक माथुर ने किया।