जयपुर। राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार इस एक वर्ष मे एससी/एसटी के करीब 5 हज़ार प्रकरण दर्ज हुये हैं, जो न्याय के इंतज़ार मे हैं।
दलित समाज के प्रति सरकार, राजनीति और पुलिस प्रशासन कि असंवेदनशीलता ही हमारे कल्याण मे रुकावट बनी हुई है। यह जानकारी प्रेस वार्ता के दौरान दलित अधिकार नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तुलसीदास राज ने दी। उन्होने बताया कि 2019 मे 55 दलितों कि हत्या हुई, 477 दलित महिलाओं के साथ दुराचार हुये हैं।
समाज जगाओ-संविधान बचाओ अभियान के तहत 26 नवंबर, 2019 से शुरू हुई सामाजिक न्याय एवं अधिकार जागरुकता यात्रा का समापन आज जयपुर में हुआ। इस यात्रा का शुभारंभ 26 नवंबर को जोधपुर से हुआ था, जिसके बाद यह यात्रा जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर, पाली, सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर सहित करीब 25 जिलों से होते हुए आज जयपुर पहुंची। यात्रा के समापन के मौके पर आयोजक प्रतिनिधि मण्डल ने प्रैस वार्ता कर यात्रा के उद्देश्यों के बारे मे जानकारी दी।
तुलसीदास राज ने बताया कि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारत का संविधान दुनिया के संविधानों में से सबसे बेहतर बनाया है। लेकिन इस संविधान का पालन पूरी ईमानदारी से नहीं होने कि वजह से दलित समाज आज भी हाशिये पर है। उनका कहना है कि समता, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व एवं भाईचारा स्थापित करने के उद्देश्य से बनाया गया यह संविधान आज देश में हास-परिहास, शोषण, अत्याचार एवं असमानता का वातावरण पैदा करने का पर्याय बन गया है।
डॉ. अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से जिस समाज को मुख्यधारा में लाने का सपना संजोया था, आजादी के 72 वर्ष बाद भी यह समाज शोषण, अत्याचार, भेदभाव, असमानता जैसे दुराचारों से जूझ रहा है। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए दलित वर्ग को उनके मौलिक अधिकारों के जरिए संरक्षण दिलाना ही इस यात्रा का उद्देश्य है। प्रशासन सहित मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन बामनिया को संगठन द्वारा मांग पत्र दिया गया।
दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान, घुमंतू साझा मंच, जनजाति अधिकार मंच, शांति सद्भावना मंच एवं अधिकार संदर्भ केंद्र एवं अन्य सहयोगी संगठनों द्वारा आयोजित सामाजिक न्याय एवं अधिकार जागरूकता यात्रा का मूल उद्देश्य है कि देश में पनप रही दलितों के प्रति भेदभाव की नीति, जाति आधारित शोषण एवं अत्याचार के खिलाफ समाज को जागरुक करें। साथ ही दलित समाज के हित के लिए बनाए गए कानूनों की सख्ती से पालना कराने पर जोर दिया जाए। इन उद्देश्यों सहित दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान एवं सहयोगी संगठनों द्वारा 15 मांगें पूरी करने की बात रखी है। इन 15 मांगों को पूरा करने के लिए ही इस यात्रा का पूरे प्रदेश में आयोजन किया गया, जिससे दलित समाज जागरुक हो सके और अपने अधिकारों के लिए संरक्षण प्राप्त कर सके।