उदयपुर। वरिष्ठ कवयित्री और लेखिका डॉ. विद्या पालीवाल के नये हस्तलिखित काव्य संग्रह ‘सपनों की छांव’ का डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर, डॉ. महेन्द्र भाणावत, डॉ. राजेन्द्र मेनारिया और अन्य अतिथियों ने होटल आनंद भवन के सभागार में लोकार्पण किया।
डॉ. विद्या पालीवाल ने 134 कविताओं के इस संग्रह में भाव, अनुभूति, आध्यात्म, संस्कृति, प्रेम- समर्पण, आस्था व निष्ठा और रिश्तों की विविधता को भावनात्मक शब्दों में पिरोया है। इस काव्य ग्रंथ का रेखाकंन और चित्रांकन डॉ. सुबोध ने किया हैं। बोधी प्रकाशन, जयपुर ने यह काव्य संग्रह प्रकाशित किया है । इससे पूर्व डॉ. विद्या का काव्य संग्रह- सांसांे की सरगम, कहानी-संग्रह दरकते रिश्ते, कुछ बचपन ऐसे भी, परत दर परत और अनकही नाम की स्मरणिका प्रकाशित हो चुकी हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया, स्वागत डॉ सुबोध, आलोक और पकंज पालीवाल ने किया। विमोचन के अवसर पर कवयित्री डॉ. विद्या ने कहा कि प्रेम कई रूपों में सर्वस्व व्याप्त है, प्रेम अलौकिक सृष्टि है प्रेम मनुष्य को मनुष्य जीवन से समाहित करता हुआ ईश्वरीय तत्व की ओर ले जाता है। काव्यसंग्रह में मूल रूप से ईश्वरीय प्रेम, राष्ट्र प्रेम, प्रकृति प्रेम और जनमानस की भावनाओं और प्रतिदिन जीवन में घटने वाले क्षणों का शब्दों के माध्यम से सुन्दर चित्रण किया गया है। डॉ. विद्या ने संदेश देते हुए कहा कि साहित्य की साधना शक्ति और आत्मविश्वास देती हैं। निरन्तर चलते रहने का नाम ही जीवन है इसलिए जीवन में कभी भी रूकना नहीं है जीवन रूपी यात्रा में बस आगे बढ़ते रहना है।
मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर ने डॉ. विद्या की लेखनी की प्रशंसा करते हुए कहा साहित्यकार ही संस्कृति को आगे लेकर जाता है। 85 वर्ष की आयु में हस्तलिखित काव्यसंग्रह को आमजन तक पहुंचाना आम बात नहीं है। इसके लिए चिंतन, दृढ़ इच्छा और ईश्वरीय शक्ति की आवश्यकता होती है। आज के डिजिटल युग में भी हाथ से लिखना इनके साहित्य के प्रति प्रेम को दर्शाता है। इन्होंने हिन्दी की जो सेवा की है वह हम सभी के लिए मिसाल है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व डायरेक्टर डॉ राजेन्द्र मेनारिया ने कहा कि डॉ. विद्या अपने नाम के अनुरूप विद्या से परिपूर्ण हैं। इन्होंने अपनी पूर्व की काव्य और कहानी संग्रह में सरल शब्दावली में गहरी बात कहने का प्रयास किया है। इस काव्य संग्रह में इन्होंने प्रेम के अनेक रूपों को बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया है।
डॉ. विद्या की जन्म भूमि श्री नाथद्वारा से तिलकायत श्री नाथ मंदिर के अधिकारी श्री सुधाकर शास्त्री द्वारा प्रभू प्रसाद और उपरना ओढ़ा कर मंच को सम्मानित किया। पुस्तक समीक्षा डॉ. राजेन्द्र मेनारिया, डॉ. महेन्द्र भाणावत, डॉ. रजनी कुलश्रेष्ठ, दरकते रिश्ते पुस्तक की समीक्षा ज्योतिपुंज, परत दर परत की समीक्षा मोनिका गौड़ और कुछ बचपन ऐसे भी की समीक्षा रामजीलाल घोड़ेला द्वारा की गयी। कार्यक्रम के वक्ता कवि और लेखक किशन दाधिच थे और संयोजन किरण बाला ‘किरन’ ने किया।