उदयपुर। भारत में स्वैच्छिकता का इतिहास बहुत पुराना है। आजादी के बाद 70 के दशक में स्वैच्छिक संस्थाओं का संगठित स्वरूप निखरा है। कोई भी स्वैच्छिक संगठन या संस्था जो सरकारी, सार्वजनिक पॉलिसियों को प्रभावित करती है, वे सिविल सोसायटी की श्रेणी में आ जाती है। ये विचार राजस्थान सरकार के पूर्व मुख्य सचिव मीठालाल मेहता ने स्वैच्छिकता एवं राज्य विषयक डॉ. मोहनसिंह मेहता व्याख्यान में व्यक्त किए।
मेहता ने कहा कि सत्ता का आधार दण्ड है तथा नियम व कानून है। शासन किसी भी परिस्थिति में कानून व व्यवस्था के बाहर नहीं जा सकता। स्वैच्छिक संस्थाएँ जगह, परिस्थितियों के अनुरूप बदलाव करने में सक्षम हैं जबकि सरकार ऐसा नहीं कर सकती। आमजन सरकार की अपेक्षा अधिक सहज महसूस करते हैं। लोगों की चेतना एवं सामुदायिकता का पाठ मात्र मूल्य आधारित स्वैच्छिक संस्थाएँ ही पढ़ा सकती हैं। सरकार अपने विस्तार और आधार के कारण जन सहभागिता पाने में विफल रहती है। जमीनी व्यावहारिक हकीकतों से संस्थाएँ मानवीय मूल्यगत दृष्टि से ज्यादा कुशल होती हैं।
सरकार व शासन कानून तथा वृहत्तर व्यवस्थाओं से जकड़े हुऐ होते हैं। जबकि स्वैच्छिक नागरिक संस्थाएँ मानवीय मूल्यों, संवेदनाओं, सेवाभाव तथा मूल्यों से बँधी होती हैं।
मेहता ने कहा कि स्वैच्छिक संस्थाओं को कानून के निर्माण एवं उन्हें ठीक तरह से लागू करते हुए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए। मेहता ने कहा कि गवर्नेंस को सरकार को बेहतर बनाना चाहिए। मेहता ने बताया कि गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सरकार संस्थाओं एवं बुद्धिजीवियों के मध्य उच्च स्तरीय सतत् संवादों की जरूरत है। अपने व्याख्यान को प्रारम्भ करते हुए पूर्व मुख्य सचिव ने स्व. डॉ. मोहनसिंह मेहता को बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी निरूपित करते हुए उन्हें सामाजिक कार्यकर्ताओं का शिल्पी एवं महान् शिक्षाविद् बतलाया।
आरम्भ में सेवा मंदिर के महासचिव नारायण आमेटा ने स्वागत किया तथा संस्था का परिचय प्रन्यासी नीलिमा खेतान ने दिया। धन्यवाद ट्रस्ट अध्यक्ष विजयसिंह मेहता ने दिया। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम एवं संयोजन ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा एवं दीप्ति आमेटा ने किया।
सेवा मंदिर, विद्याभवन व ट्रस्ट द्वारा आयोजित व्याख्यान में संभागीय आयुक्त सुबोधकांत, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बजरंगलाल शर्मा, पूर्व विदेश सचिव जगत एस. मेहता, प्रो. जेनब बानू, यश सेठिया, मन्नाराम डाँगी, विज्ञान समिति के के. एल. कोठारी, मोहनसिंह कोठारी आदि ने शिरकत की।