उदयपुर। बारिश के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है,और ऐसी ही सर्पदंश से पीढ़ित महिला को उदयपुर के भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल नें नया जीवनदान दिया। इस सफल उपचार में मेडिसिन विभाग के सह-आचार्य डॉ. निलेश पतीरा, आईसीयू विभाग के डॉ. मनिन्दर पाटनी, डॉ. ताशा पुरोहित, रेजीडेंट डॉ. रिषभ अग्रवाल, पूजा एवं टीम का योगदान रहा।
दरअसल चित्तौड़गढ़ के रामाखेडा निवासी 31 बर्षीय महिला घीसीबाई को खेत में काम करते हुए सांप ने काट लिया। परिजन उसे झाड़-फूंक करने वाले के यहां ले गए,महिला की बिगडती हुई हालत को देखते हुए परिजन उसें रात 11 बजे पीएमसीएच के आपातकालीन ईकाइ में लेकर आए। यहां चिकित्सक डॉ. निलेश की टीम ने विना कोई समय गवॉए मरीज को उपचार कर आईसीयू में भर्ती किया।
जनरल मेडिसिन विभाग के डॉ.निलेश पतीरा ने बताया कि धीसीबाई को सॉप के काटनें के चलतें परिजन इमरजेन्सी मे लेकर आए। साँप के काटने के 10-12 घंटे बाद उनको निगलने तथा मुँह खोलने में तकलीफ होने लगी प्रारंभिक जांचे में इसे टिटनेस होना पाया गया। मरीज को टिटेनस इम्यूनोग्लोब्यूलीन एवं अन्य उपचार दिया गया।
डॉ.निलेश ने बताया कि सर्पदंश के बाद प्रथम एक घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लग जाना चाहिए। अक्सर लोग पहले तो झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। सांप जहरीला न होने की स्थिति में वह वहीं ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन जहरीला सांप होने पर जब उन्हें झाड़-फूंक से राहत नहीं मिलती है तब अस्पताल जाते हैं। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। सांप काटने के बाद सीधा अस्पताल आने वाले लोगों की प्रायः जान बच जाती है। महिला अभी पूरी तरह से स्वस्थ और उसे छुट्टी दे दी गई। महिला का उपचार निशुल्क किया गया।