और आखिरकार मेवाड़ के शेर गुलाबचंद कटारिया की प्रस्तावित लोक जागरण यात्रा निरस्त हो ही गई. हो गई या करवाई गई या कर दी गई. सभी के अपने-अपने मायने हैं. राष्ट्रीय नेतृत्व को भी कटारिया ने एकबारगी अपनी बातों से संतुष्ट कर दिया लेकिन कोर कमेटी ने सब गडबड कर दी और यहाँ तो होनी ही थी. कोर कमेटी में ओम माथुर, घनश्याम तिवाडी, वसुंधरा राजे, किरीट सोमैया कटारिया के विरोध में जबकि कप्तान सिंह सोलंकी और प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी कटारिया के पक्ष में हैं.
बताया गया कि कोर कमेटी की बैठक में तीन नेताओं ने यात्रा का विरोध किया वहीँ वसुंधरा ने तो यात्रा को परे रखकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ही इस्तीफ़ा देने की धमकी दे दी. यही नहीं वसुंधरा के पिछलग्गू मेवाड़ के भी कई नेताओं किरण माहेश्वरी, श्रीचंद कृपलानी, भीम विधायक हरीसिंह रावत आदि ने भी इस्तीफे दे दिए. इस पर कटारिया बैकफुट पर आ गए और मौके की नजाकत को समझते हुए पार्टी हित में यात्रा रद्द कर दी. अगर राजनीतिक पंडितों की बात मानी जाए तो कटारिया अभी भले ही ठंडे बैठ गए हैं लेकिन उनके स्वभाव को देखते हुए वे मौके की इंतज़ार में रहेंगे. रविवार शाम तक वार्ड स्तर के पदाधिकारियों के भी सामूहिक रूप से इस्तीफे देने की जानकारी मिली है.
सूत्रों के अनुसार इस बार विरोधी गुट ने कटारिया पर अड़ियल रवैये का आरोप लगाते हुए पूरी तरह घर बिठाने के लिए कमर कस रखी है. विरोधी गुट का मानना है कि या तो पार्टी में कटारिया रहेंगे या फिर वे. इस बार तय हो कर ही रहेगा. विरोधी गुट का मानना है कि कटारिया को मेवाड़ में क्यों पूजा जाये? उन्होंने उदयपुर के लिए ऐसा क्या खास किया है कि उन्हें याद रखा जाए?
अगर इस बार यह यात्रा निकलती तो कटारिया को भले ही इतनी लोकप्रियता हासिल होती या नहीं लेकिन कथित पार्टी हित में यात्रा रद्द कर वे मतदाताओं की सहानुभूति हासिल करने में क्या कामयाब हो पाएंगे? इस पर विरोधी गुट का मानना है कि मेवाड़ के छह जिलों में से चार जिलों के अध्यक्षों ने इस्तीफे दे दिए हैं. उनके प्रभुत्व वाले उदयपुर और राजसमन्द में भी यात्रा को लेकर काफी विरोध है.
उधर कटारिया गुट के लोगों का कहना है कि इस्तीफ़ा सिर्फ कहने मात्र से नहीं दिया जाता. गिने-चुने लोगों के इस्तीफे पहुँच भी गए होंगे लेकिन बड़े-बड़े पदाधिकारी इस्तीफ़ा देने की बात कह रहे हैं, तो एक बार इस्तीफ़ा दें तो सही.. इस्तीफ़ा मंजूर भी हो जाएगा. राष्ट्रीय नेतृत्व हमारे साथ है.
आखिर यात्रा को लेकर इतना विरोध क्यों? जानकारों के अनुसार मेवाड़ के 28 विधायक ही मुख्यमंत्री के चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. अगर कटारिया यात्रा निकालने में कामयाब हो जाते तो संभवतः मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन वसुंधरा को यह कैसे मंजूर हो सकता था. हालांकि किरण महेश्वरी ने जयपुर में कहा कि वसुंधरा का भी इस्तीफ़ा भेज दिया गया है. अब आगे देखना यह है कि अगर वसुंधरा ने वाकई इस्तीफ़ा भेज दिया है तो क्या स्वीकार होगा या कटारिया के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?
Rajniti ka raj (Matlab) Raj Nata gan hi jan sakte hain. Mera anubhav raha hai ki Raj Netanaon ki ” karni aur kathani “mein bahut antar hai. Bichari Bholi Bhali Janta en Raj Netaon ke karn hi pisti chali ja rahi hai. Sabh Raj Neta apne apne Swarth ki purti kar rahe hain. Agar BJP ki YATRA ho jati toe Janta ko kya milta aur nahi ho rahi hai toe janta ko kya mil jayega ?
Issi prakar Congress party ka karnama jo kal Shaniwar ko huwa usse bholi bhali janta ko kya hasil huwa ?