ताशकंद में मिला डॉ. सुमित सिंघल को चेयरपर्सन व इन्टरनेशनल इनवाईटेड फेकल्टी सम्मान
उदयपुर। डायबिटीज फुट बीमारी में डायबिटीज के कारण पांवों में होने वाले छालों, घावों, गेंगरीन आदि रोगों के मामले में समय रहते जांच कराकर गंभीर स्थिति आने से पूर्व उपचार करा लिया जाए तो इस बीमारी के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है। विश्व में युद्ध की चोटों से भी अधिक डायबिटीज के कारण पांव काटे जाते है। यह गंभीर है।
उदयपुर के नोबल हॉस्पीटल के संस्थापक प्लास्टिक सर्जन डॅा. सुमित सिंघल ने उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में गत 3 से 5 मई तक आयोजित तीसरी मध्य एशिया प्लास्टिक सर्जन्स कॉन्फ्रेन्स में उक्त विचार व्येक्त किए। कॉन्फ्रेन्स में दुनिया भर के प्लास्टिक सर्जन्स ने भाग लिया। इन्होंने कॉन्फ्रेन्स पांच शोध पत्र भी प्रस्तुत किए। डॉ. सिंघल ने बताया कि तीन दिवसीय कॉन्फ्रेन्स के बाद 6 से 8 मई तक वर्कशॉप भी हुई।
डॅा. सिंघल को कॉन्फ्रेन्स में विशेष तौर इन्टरनेशनल इनवाईटेड फेकल्टी के रूप में आमंत्रित करने के साथ वैज्ञानिक सत्र में चेयरपर्सन के रूप में सम्मानित किया गया। डॉ. सिंघल ने कॉन्फ्रेन्स में उन्होनें हाथ की चोट, डायबिटीज फुट, इन्फ्रा थर्मोग्राफी, कारपल टनल सिन्ड्रोम यानि कलाई में होने वाले दर्द के उपचार सहित पंाच शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। उन्होंने बताया कि इन्फ्रा थर्मोग्राफी में माइक्रो सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी के सभी विषयों में खासतौर से दुर्घटना में घायल हाथ-पांव आदि अंगो के अच्छे ईलाज तथा कारपल टनल सिन्ड्रोम में उपचार के लिये छोटे से चीरे से ऑपरेशन करने का तरीका बताया। डॅा. सिंघल को ताशकन्द में ऑपरेशन करने हेतु आमंत्रित किया गया।