आलोक संस्थान के व्यास सभागार में श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन
उदयपुर. शिव पार्वती सेवा समिति तथा आलोक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जारी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे वृंदावन धाम से आए बालयोगी ईश्वरचंद महाराज ने बताया कि सबसे अधिक पापात्माएं कलयुग में ही हैं। सभी ग्रंथों का उद्देश्य इन पापात्माओं का उद्धार करना है। मानव आत्माओं को इस सांसारिक मोह-माया से उबारने के लिए कथासार की आवश्यकता है। इन सबका सर्वोत्तम साधन श्रीमद् भागवत है क्योंकि भागवत की ऐसा महाकाव्य है जो सभी वेद- पुराणों व श्रुतियों का सार है।
उन्होंने अर्जुन व कृष्ण का प्रसंग सुनाते हुए कि कृष्ण ने अर्जुन को गीता सुनाई, वहीं गीता का युधिष्ठिर के जीवन में उतना गहरा प्रभाव नहीं पड़ा। युधिष्ठिर श्रीकृष्ण को बेटा मानते थे, अर्जुन श्रीकृष्ण को अपना गुरु। इसलिए जहां वात्सल्य होता है, वहां ज्ञान की अनुभूति नहीं होती है। जहां गुरु तत्व होता है, वहां ज्ञान प्राप्त होता है। इसलिए कृष्ण ने सोचा कि युधिष्ठिर का कल्याण कराने के लिए सहस्त्रबाहु की शय्या पर शयन कर रहे भीष्म पितामह से गीता का ज्ञान दिलाया। द्रोपदी सहित सभी पाण्डवों का कल्याण करवाया। अत: संसार में मानव जीवन उसी का बनता है जो प्रभु चरणों की भक्ति में तल्लीन हो जाता है। भागवत कथा को सुन कर न केवल व्यक्ति स्वयं संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है बल्कि उसके परिजन भी लाभान्वित होते हैं। शिव- पार्वती सेवा समिति की अध्यक्ष सरला गुप्ता तथा धर्मप्राण महिलाओं ने भक्ति- भजन व कृष्ण की लीलाओं पर नृत्य प्रस्तुत किए। पूर्व सभापति रविंद्र श्रीमाली तथा वार्ड 15 की पार्षद चंद्रकला बोर्दिया ने भी ईश्वरचंद महाराज से आशीर्वाद लिया।