बाल श्रम पलायन पर रोक के लिए
उदयपुर। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती दीपक कालरा ने बच्चों को उचित शिक्षा, पोषण एवं उनके बचपन के अनुरूप सभी वांछित सुविधाएं देने के लिए सरकार के साथ ही समाज, परिवार एवं गांव के स्तर तक सकारात्मक मानसिकता बनाने की महती जरुरत प्रतिपादित की।
वे सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। कालरा ने कहा कि कम उम्र में बच्चों को बाल श्रमिक बनाकर काम लेने वाली संस्थाओं एवं इसमें लिप्त व्यक्तियों के विरुद्घ बनाये गये कानून की सख्ती से पालना कराकर ऐसे बच्चों को पुनर्वास कराकर उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्य से निकटवर्ती राज्यों में बाल श्रमिक पलायन पर प्रभावी रोकथाम के लिए जून से राज्य सीमाओं पर एन्टी ट्रेफिकिंग यूनिट्स को लगाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि उदयपुर के जनजाति अंचल में गुजरात के बीटी कॉटन के लिए बाल श्रमिक पलायन की समस्या बहुत गंभीर है, वहां बच्चों के हालात दयनीय है। ऐसे हालात में ऐसे बाल श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास पर्याप्त नहीं है वरन इसमें गांव के जनप्रतिनिधि स्तर तक जिम्मेदारी तय करते हुए बालश्रम की रोकथाम करने का जिम्मा उठाना होगा। राज्य सरकार के विभाग इसके लिए गुजरात के सरकारी महकमों के साथ बैठक कर बाल श्रमिकों की रोकथाम को प्रभावी बनाएं। उन्होंने बाल श्रमिकों को उचित शिक्षा के साथ ही व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जोडे जाने की जरूरत बतायी जिससे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी उनको मिल सके।
संस्थाओं का निरीक्षण
कालरा ने अपने दौरे के दौरान मंगलवार को अमरपुरा, टीडी, ढीकली, ऋषभदेव, खेरवाडा आदि क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने आश्रम विद्यालय, आंगनवाडी, किशोर गृह, बाल सम्प्रेषण गृह आदि स्थानों पर बच्चों के रहने, शिक्षा, पोषाहार आदि की जानकारी ली। उन्होंने उप निदेशक (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) को बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा देने की व्यवस्था करने को कहा।