झुंझनूं। आम आदमी की सोच में अब तक सुना गया है कि किसी का बच्चा यदि खो जाता है तो पुरा परिवार, रिश्तेदार एवं मित्र मंडली उसे तलाशनें में जी-जान से जुट जाते हैं, लेकिन 19 मई से झुंझुनूं जिले के राजकीय बीडीके अस्पताल में भर्ती दो वर्ष की मासूम बच्ची अपने माता-पिता के साथ परिजनों की तलाश में भटक रही हैं। इस मासूम बच्ची को उसके परिजन या अन्य कोई मारने की नियत से 100 फीट गहरे कुएं में फेंक गये थे मगर वह जिंदा बच गयी।
शनिवार शाम पत्रकार संजय सैनी व मो. रफीक ने मासूम बच्ची के साथ कुछ समय गुजारकर उसके शब्दों से उसके परिजनों की तलाश में सहयोगी बनने की भूमिका निभाई।
मासूम राजस्थानी और हिन्दी भाषा को सही तरह से नहीं पहचान पा रही हैं। जिससे अनुमान लगाया जा सकता हैं कि यह आसाम, बिहार या बंगाल आदि क्षेत्रों में जन्मी हैं। अब तक इसके परिजनों की आहट नहीं सुनाई देना, संकेत दे रहा है कि तीन माह पूर्व एम्स में भर्ती लावारिश बालिका ‘पलक’ के परिजन उसे दिल्ली की सडक़ो पर छोड़ गये थे। उसी प्रकार कोई युवती दुसरी शादी करने के लिए अपनी संतान को कुएं में डालकर मार गई हैं, लेकिन जाको राखे सांईया मार सके ना कोय कहावत इस बच्ची की जिन्दगी से जुड़ी हैं।
अस्पताल में सब की नजरों को अपनी ओर आकृर्षित करने वाली इस बच्ची का नाम अस्पताल स्टाफ एवं वार्ड में भर्ती अन्य रोगियों के परिजनों ने प्रियांशी रख दिया हैं। देखा जा रहा है कि बच्ची की जिद और प्यार प्रतिदिन किसी ना किसी को बच्ची को गोद लेने की लालसा के साथ अस्पताल की ओर खीच लाती हैं। अस्पताल में बच्ची की देखरेख के लिए खेतड़ी पुलिस ने कॉस्टेबल इन्द्रसिंह एंव महिला कॉस्टेबल बबीता, मनोज, मंजू व कमला को तैनात कर रखा हैं।
photo & news : रमेश सर्राफ, झुंझनूं