गत 10 वर्षो में देश में डेढ़ करोड़ बेटियों की हत्याएं हुई
उदयपुर। पत्रकार राजेश कसेरा ने कहा कि बेटी माता-पिता के सबसे करीब होती है। उमसें करूणा व संवेदना कूट-कूट कर भरी होती है। बिटिया एक नहीं सात पीढिय़ों की तारणहार होती है। वह परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इतनी खूबियों वाली बिटिया की बिना चिकित्सक प्रयास के भू्रण हत्या संभव नहीं है।
वे रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा बिटिया बचाओं-आगे बढ़ाओं विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होनें कहा कि शहर में गिरते लिंगानुपात को पुन: बराबर लाने के लिये हमें बिटिया को बचाना ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये। यह आश्चर्यजनक है कि ग्रामीण क्षेत्र के अशिक्षित वर्ग की तुलना में शहरी क्षेत्र का शिक्षित वर्ग कन्या भू्रण हत्या में बहुत आगे है और यह बात आंकड़ो से स्पष्ट होती है।
पिछले कुछ माह से आयोजित किये जा रहे बिटिया बचाओं कार्यक्रम के सुखद परिणाम सामने आये है। समाज में जागरूकता आयी है। जनता अब स्वप्रेरित होकर बिटिया को बचाने में आगे आ रही है। अब वह समय आ गया है जब पुरूष वर्ग बिटिया को बचाने में अपनी जिम्मेदारी सिर्फ अपने मकान की चारदीवारी तक ही सीमित न रख आस-पड़ौस में रहने वालों को भी उसका अहसास कराये। इस अवसर पर उन्होनें क्लब सदस्यों को बिटिया को बचाने के लिये शपथ भी दिलायी।
पत्रकार तरूश्री शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि वर्ष 2001 से लेकर 2011 तक गत 10 वर्षो के दौरान देश में जनसंख्या गणना नहीं हुई और इस दौरान जमकर लिंग परीक्षण हुआ जिसका परिणाम यह हुआ कि इन 10 वर्षो के दौरान देश में डेड़ करोड़ से अधिक लड़कियों को या तो कोख में या जन्म के बाद मार दिया गया। शहर में भी गत 10 वर्षो में लड़कियों की संख्या 964 से घटकर 877 रह गयी। उन्होनें रोटरी क्लब उदयपुर कीे इस बात के लिये सराहना की कि वह कन्या भू्रण हत्या विरोध से एक कदम आगे बढक़र बिटिया बचाओं कार्यक्रम की सीढ़ी तक पहुंचा। यदि अब भी बिटिया को नहीं बचाया गया तो भविष्य में इसके इतने भंयकर दुष्परिणाम सामने आयेंगे जिसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल होगा। बिटिया को बचाने में पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं की भी बराबर भागीदारी होनी चाहिये।
इस अवसर पर वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॅा.देवेन्द्र सरीन ने कहा कि कन्या भू्रण हत्या के पीछे दहेज व गरीबी दो मुख्य कारण है। अब जनता जागरूक होने लगी है। समाज में बिटिया को लेकर परिवर्तन होने लगे है। उनकी मानसिकता में बदलाव आने लगा है। बिटिया को आगे लाने में हमारा सामाजिक एंव नैतिक दायित्व भी बनता है। 1 जुलाई से प्रारम्भ हो रहे नये सत्र में क्लब बेटी बचाओं को लेकर अनेक नये कार्यक्रम आयोजित करेगा। इससे पूर्व क्लब अध्यक्ष डॅा. निर्मल कुणावत ने कहा कि क्लब बेटी बचाओं को लेकर अनेक कार्यक्रम आयोजित करता रहा है और अब बिटिया बचाओं को लेकर समाज में क्रान्ति लाने में अपनी भूमिका निभाने में और अग्रणी रहेगा। इस अवसर पर सचिव गिरीश मेहता,इनरव्हील क्लब अध्यक्ष इन्दिरा बोर्दिया, सचिव बेला जैन, प्रिया मेहता, आशा कुणावत, विजयलक्ष्मी बंसल सहित अनेक सदस्य एंव सदस्याएं उपस्थित थे। कार्यक्रम में सिर्फ बिटिया वाले सदस्यों को सम्मानित किया गया।
KYO????????????
क्यों होता है जन्म पर मातम
और मौत का जश्न ?
समाज के आगे विराट रूप लिए
खड़ा है यह प्रश्न ?
क्यों उस नह्नी कली को
गर्भ में ही मसला जाता है
और आईने में दुःख का
झूठा रूप दिखाया जाता है .
क्यों पुत्र पाने की लालसा ने
ऐसा विक्रत रूप लिया
जिसने इस अभद्रता की
चरम सीमा को छू लिया
क्यों दिखावा करते है लोग कन्या को पूजने का
पर अपनी ही बेटी को मौका देते है ज़िन्दगी से झूझने का
ऐसी मानसिकता ने आज ये काम किया
समाज की इन दुर्गा और लक्ष्मी को बदनाम किया
उदाहरण बनी है दुनिया में ये नवरतन बेटियां
कल्पना चावला ,इन्द्रा नुई ,साइना नेहवाल ,
क्यों फिर भी समाज करता है आज
बेटी होने पर छत्तीसों सवाल ????
क्यों माँ आज बेटी का कोख में ही कतल करवाती है
माँ के पावन दामन पर कलंक लगवाती है
अपने मातृत्व का वो उपहास उड़ाती है
मै पूछती हूँ उनसे —- क्या वो कभी खुद पे भी शर्माती है ???????
कल्पना २५ ;८; २०१२