केन्द्र सरकार के वित्तीय सहयोग से महोत्सव का आगाज
शाम को हुई सांस्कृतिक संध्या में राग-बंदिशों की जुगलबंदी
उदयपुर। केन्द्रत सरकार के सांस्कृेतिक मंत्रालय के वित्तीरय सहयोग से महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर एवं यूनेस्को नई दिल्ली के तत्वावधान में गुरूवार से सिटी पैलेस में चार दिवसीय द्वितीय विश्व जीवंत विरासत महोत्सव 2014 का रंगारंग आगाज हुआ।
कार्यशाला रंग, फोटो प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी का उद्घाटन भारत में फ्रांस दूतावास फ्रेंकोइज रीचर ने किया। फतहप्रकाश पैलेस कन्वेंशन सेंटर के सभागार कांफ्रेंस हॉल में लिविंग हेरिटेज पर संगोष्ठी में फाउण्डेशन के अध्यक्ष अरविन्दसिंह मेवाड़ ने कहा कि जीवंत विरासत को यदि जीवित रखना है तो हमें विरासत की मातृरूपी सांस्कृतिक धरोहरों को आगे बढ़ाना होगा। किसी भी देश की यदि संस्कृति जीवित रहती है तो निश्चित रूप से उसकी विरासत को भी पथ मिलता है। संगोष्ठी में यूनेस्को नई दिल्ली की सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेषज्ञ श्रीमती मोए छिबा ने विरासत संरक्षण के लिए भारत के पड़ोसी देश चीन, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका से सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं विभिन्न उत्सवों पर कलाकारों के प्रदर्शन के माध्यम से विरासत को जीवंत बनाने की बात कही। डी. के. इंटरनेशनल फाउण्डेशन के चेयरमैन प्रो. विनयशील गौतम ने ट्रस्टीशिप एण्ड गर्वनेंस विषय पर अपनी बात रखी। उद्घाटन सत्र के अंत में महोत्सव की संयोजक वृंदा राजे सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
दोपहर दो बजे बाद चले सत्र में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय डॉ. राजेश्वरी नरेन्द्रन ने लीडरशिप स्टाइल ऑफ रूलर्स ऑफ मेवाड़ पर अपना शोध पत्र पढ़ा। वहीं बेल्जियम की प्रोफेसर मिंजा यांग ने जीवंत विरासत को हर तबके तक कैसे पहुंचाया जाए इसकी जानकारी दी। संगोष्ठी में भोपाल की डॉ. रचना खैर एवं द्रोण संस्था की डॉ. शिखा जैन ने भी विषय वस्तु पर विचार व्यक्त किए।
पुस्तक विमोचन : संगोष्ठी में ‘कांसेप्ट पब्लिकेशन ऑन उदयपुर एज ए लिविंग हेरिटेज सिटी’ पुस्तक का विमोचन अतिथियों ने किया। यह पुस्तक महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, यूनेस्को एवं जनप्रतिनिधियों के सहयोग से तैयार की गई है।
रंग : महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन एवं कला समर्पित संस्थान लोकल आर्ट डॉट कॉम के सौजन्य से यहां सभा शिरोमणि के दरीखाने में लगाई गई कला प्रदर्शनी का उद्घाटन रीचर एवं लक्ष्यराजसिंह ने किया। कार्यशाला में सूक्ष्म चित्रकारी में माहिर दीपक सोनी, टेराकोटा के कारीगर गंगाराम सहाय, ठीकरी कला के कृष्णकांत शर्मा, काष्ट कला के विष्णु सिकलीगर, कावड़ कलाकार मांगीलाल मिस्त्री, संगमरमर की कृतियां रचने वाले अंबालाल भट्ट, नेल आर्ट के कलाकार प्रकाश के विभिन्न कृतियां प्रदर्शित की गई।
फोटो प्रदर्शनी : सिटी पैलेस के जनाना महल के लक्ष्मी चौक में बने चौमुखा में परंपरा एवं आधुनिकता के मेल को समर्पित फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर के फोटो एवं उदयपुर शहर के विभिन्न धर्मो, लोगों, शैलियों के फोटो प्रदर्शित किए गए। स्ट्रासबर्ग के फोटोग्राफर अल्बर्ट हूबर एवं उदयपुर की फोटोग्राफर अनुराधा सरूप द्वारा दोनों ही जगहों के खींचे गए करीब 50 फोटो यहां प्रदर्शित किए गए हैं।
होरी रंगी सारी गुलाबी चुंदरिया…
सिटी पैलेस में आयोजित द्वितीय विश्व जीवंत विरासत महोत्सव – 2014 के तहत शाम को सांस्कृतिक संध्या में आगरा एवं ग्वालियर घराने की प्रसिद्ध गायिका मंजूषा पाटिल कुलकर्णी ने विभिन्न राग एवं बंदिशों की जुगलबंदी की। जनाना महल में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के बैण्ड वादन पश्चात माहौल करतल ध्वनियों से गूंज उठा। मुख्य अतिथि भारत में फ्रांस दूतावास के दूत फ्रेंकोइज रीचर थे। कार्यक्रम में अरविन्द सिंह मेवाड़, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, विजयराज कुमारी मेवाड़, निवृत्ति कुमारी मेवाड़ आदि उपस्थित थे।
विश्व जीवंत विरासत महोत्सव के तहत आयोजित सांस्कृतिक संध्या की श्रृंखला में संगीतकारा मंजूषा पाटिल कुलकर्णी ने राग केदार- तिलवाड़ा बंदीश ताल में ‘बन ठन का…’ और द्रुत तीन ताल में ‘कान्ह रे नंदनवन’ में बंदिश प्रस्तुत की। उसके बाद राग सोटोनी में ‘रंग ना डारो श्यामजी’ में तीनताल की बंदिश और एक तराना प्रस्तुत किया। उसके बाद राग मिश्र पहाड़ी में ‘होरी रंगी सारी गुलाबी चुंदरिया’ के बाद में भजन ‘माई सावरे रंग राची भैरवी’ प्रस्तुत किया। इनके साथ श्रीराम, हसबनीस हारमोनियम पर, प्रशांत पाण्डव तबले पर, संपत सरकार तथा निधि जानवे ने तानपुरा पर संगत की।