तेरापंथी सभा के ज्ञानशाला के बच्चों ने दी अनूठी प्रस्तुतियां
उदयपुर। बच्चों को अपने संस्कारों से जोड़े रखने के लिए तेरापंथ सभा की ओर से चलाई जा रही ज्ञानषालाओं का वार्षिक उत्सव शनिवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में हुआ। ज्ञानषाला के बच्चों की हास्य, देषभक्ति, आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कारिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया।
अतिथि के रूप में कार्यक्रम में ज्ञानशाला के आंचलिक संयोजक दिनेश कोठारी तथा उदयपुर की ज्ञानशाला प्रभारी मंजू दक ने हिस्सा लिया। आरंभ में ज्ञानषाला के बच्चों ने मंगलाचरण किया। इसके बाद सेठानी की खाने की आदतों से परेशान होने और उसके चटोरेपन की आदतों को बखूबी दिखाया गया चटोरी सेठानी नामक नाटिका में। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में बच्चों ने हिपहोप नृत्य के माध्यम से साफ सफाई रखने का संदेष दिया वहीं जय जय ज्योतिचरण… जय जय महाश्रमण से भक्ति गीत की प्रस्तुति दी। इसके बाद महंगाई पर बच्चों ने एक अनूठी नाटिका का मंचन किया जिस पर पूरा सभागार ओम अर्हम की ध्वनि से गूंज उठा।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि ज्ञानषाला के माध्यम से बच्चों में संस्कार डाले जाने का प्रयास निस्संदेह सराहनीय है। गुरुदेव के आदेषानुसार समाज के प्रत्येक घर के प्रत्येक बच्चे को ज्ञानषाला से जुड़ना ही चाहिए ताकि सामाजिक गतिविधियों में उनका मन अभी से लगे और वे आगे चलकर समाज में अपना महती योगदान दे सकें।
इसके बाद भारत-पाक सीमा की स्थिति को बयां करते सैनिकों की राष्ट्रभक्ति पर आधारित नाटिका सरहद का मंचन किया गया। भगवान महावीर के जन्मोत्सव के साथ होली, दिवाली, रक्षाबंधन, गणगौर, गणेष चतुर्थी, जन्माष्टमी आदि त्योहारों को मनाने के कारण भी बताए गए। वर्ष 2050 में विष्व की भौगोलिक स्थिति एवं छह कायों पृथ्वीकाय, अपकाय, तेजसकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय एवं त्रसकाय पर नाट्य मंचन किया गया। अंत में राजस्थानी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी गई।
आरंभ में ज्ञानषाला निदेषक फतहलाल जैन ने स्वागत उदबोधन दिया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का सफल संचालन संगीता पोरवाल ने किया। आभार सुनीता बैंगानी ने व्यक्त किया।