पार्टी की प्रतिष्ठा का सवाल बने चुनाव
सहकारी बैंक के चुनाव आज
उदयपुर. महिला सम्रद्धि अर्बन कोपेरेतिव बैंक के चुनाव मंगलवार को होने हैं. सोमवार को दोनों गुरों के प्रत्याशियों ने अपना पूरा दम-ख़म लगा दिया. जहाँ बीमारी के बाद आराम कर रहे पार्टी के शहर जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट को भी मैदान में आना पड़ा वहीँ विरोधी गुट के सभी नेता अपने प्रचार में लगे रहे. दिन में पार्टी की हुई पत्रकार वार्ता में भट्ट ने कहा की यह पार्टी की प्रतिष्ठा पर आघात है जिसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. पार्टी ने इन्ही ताराचंदजी को शहर, देहात जिलाध्यक्ष, उप जिला प्रमुख भी बनाया ही था. अगर चुनाव लड़ना ही था तो पार्टी ने किसी को मना नहीं किया था. बाकायदा पार्टी कार्यालय में फॉर्म रखे गए थे जिन्हें भरकर अपना प्रस्ताव रखा जा सकता था. आरोप है की मंडल अध्यक्षों से प्रस्ताव लिवाकर ताराचंदजी ने मनमर्जी से उम्मीदवार तय कर लिए. जिन रोशन देवी को आज उन्होंने अपने उम्मीदवार बनाया है उनको पहले इन्ही ताराचंदजी ने पार्टी से निकाला था. पार्टी विरोधी कार्य करने पर पार्टी ने कल भगवान वैष्णव, सुषमा कुमावत, दिनेश माली एवं गजेन्द्र जैन को पद मुक्त कर दिया था. इन चारों ने कहा था की उन्होंने तो पहले ही प्रदेश नेतृत्व को इस्तीफ़ा भेज दिया. आज हुई पत्रकार वार्ता में भट्ट ने कहा की प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी एवं प्रदेश प्रभारी कप्तान सिंह सोलंकी दोनों नि ऐसे किसी इस्तीफे मिलने से साफ़ इनकार किया है. भट्ट ने यह भी कहा की जो आज विरोध में खड़े हुए हैं, असलियत में वे तो सत्ता का सुख भोग चुके हैं. इसलिए उन्हें अब सत्ता या पार्टी का कोई मोह नहीं अब तो पार्टी से ऊपर खुद को साबित करना चाहते हैं. उन्होंने कहा की पार्टी इनके उम्मीदवारों को टिकट देने को तैयार थी लेकिन वे अपनी सत्ता चलाना चाहते हैं. पत्रकार वार्ता में बैंक की निवर्तमान अध्यक्ष किरण जैन ने कहा की मीडिया को माध्यम बनाकर जो गलत ख़बरें छपवाई जा रही है, वे सरासर गलत हैं. उन्होंने कहा की आरबीआई में बैंक के खिलाफ ऐसा कोई मामला ही नहीं है. एशिया में कोपेरेतिव सेक्टर में बैंक को पुरस्कार मिल चूका है. उन्होंने आरोप लगाया की जो जांच रिपोर्ट आयी है, उसमें भी ओवर राइटिंग की गयी है.
इस पुरे मामले में राजसमन्द सांसद किरण माहेश्वरी चुप्पी हैं. सूत्रों के अनुसार कटारिया को टक्कर देने के लिए वसुंधरा राजे का इशारा मिल गया है. किरण माहेश्वरी और वसुंधरा राजे की मित्रता जग जाहिर है. इसीलिए किरण इस मामले में बिलकुल चुप्पी साधे हैं. यहाँ की राजनीति से प्रदेश स्तर पर वसुंधरा और प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के संबंधों का अंदाज सहज लगाया जा सकता है. उधर कटारिया ने नगर परिषद चुनाव में किरण माहेश्वरी गुट के निष्कासित गोविन्द दीक्षित, आजाद उदावत तथा इन्हें समर्थन दे रहे विजय प्रकाश विप्लवी और नरेश पंवार को पार्टी कार्यालय में बुलाया और पार्टी के लिए काम करने की बात कहकर साथ आने का न्यौता दिया. बताते हैं की चारों ने कटारिया के प्रत्याशियों का प्रचार भी किया.
इधर ठीक इसके विपरीत ताराचंद गुट का कहना है की उन्हें जिलाध्यक्ष जब बनाया गया था तब उदयपुर जिला कोटडा, भीम, प्रतापगढ़ तक था जहाँ खुद उन्होंने जा-जाकर कार्यकर्ताओं को तैयार किया. उस समय जब कोई आदमी चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था तब ताराचंदजी ने गांव-गांव में आदमी तैयार किये और आज गांवों में जो पार्टी की प्रतिष्ठा है, उसके हक़दार सिर्फ ताराचंदजी हैं. मंडल कार्यकर्ताओं की बैठकें हुई जिनमें ४० से अधिक कार्यकर्त्ता शामिल हुए और उन्होंने सर्वसम्मति से अपने दो-दो उम्मीदवार तय कर लिए. ताराचंद गुट के लोगों का कहना है की पार्टी के नाम पर व्यक्ति को सर्वोपरि बनाकर तो उन्होंने निर्णय किये. चार जने मिलकर बैठे और सर्वसम्मति बता दी. इनका कहना था की किरण जैन आज बैंक की चेरमेन तो हैं ही, साथ ही नगर परिषद में सभापति और उप-सभापति के बाद तीसरी मुख्य सीट भवन निर्माण समिति की अध्यक्ष बनी बैठी हैं. क्या पार्टी में और महिलाएं नहीं हैं क्या? ताराचंद जी को जो उप-जिला प्रमुख बनाया गया तो उसमें पार्टी का कोई हाथ नहीं था. उस समय कांग्रेस की १३ तथा भाजपा को १२ सीटें मिली थी. ताराचंदजी ने अपनी सूझ-बुझ से एक सीट तोड़कर भाजपा की प्रमुख निर्वाचित करवाई. इस पर पार्टी ने कहा की आप ही के कारन यह संभव हो पाया है, इसलिए आप ही उप-जिला प्रमुख बनें.
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