कृषि विश्वविद्यालय के छठें दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियाँ
udaipur. जीवन के लिए जितनी आवश्यक हवा एवं जल है उतना ही आवश्यक भोजन भी है। आहार में अनाज का अत्यधिक महत्व है। अत: देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ ही कृषि के विकास की महती आवश्यकता को भुलाया नहीं जा सकता। इस परिप्रेक्ष्य में देश के कृषि संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालयों की अहम् भूमिका है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के षष्ठम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल शिवराज वी. पाटील ने देश एवं प्रदेश की कृषि का चित्रांकन करते हुए नये परिप्रेक्ष्य में कृषि के विकास की आवश्यकता जताई। कृषि विश्वविद्यालय का षष्ठम् दीक्षान्त समारोह राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में गुरुवार को हुआ।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे राज्य में देश का 10.4 प्रतिशत भू-भाग और 5.4 प्रतिशत आबादी का निवास है। प्रदेश में देश का 10 प्रतिशत पशुधन भी उपलब्ध है, परन्तु देश की तुलना में राजस्थान में 1 प्रतिशत से भी कम जल संसाधन उपलब्ध है। ऐसी अवस्था में हमारे राज्य में कृषि में विविधता प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन स्वावलम्बन के साथ प्रदेश की कृषि को आगे बढाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में वस्तु आधारित कृषि तकनीक एवं प्रौद्योगिकी के विकास की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने कृषि उत्पादों में सामंजस्य पर ध्यान देने की आवश्यकता भी जताई।
राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए आह्वान किया कि उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को देश एवं मानव जाति के हित में अपने कृतव्य का निर्वहन करना चाहिये। सभी विद्यार्थियों को अच्छी नौकरी नहीं मिल सकती अत: उन्हें स्वयं का उद्योग स्थापित कर रोजगार प्रदाता बनना चाहिये। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को एग्रीक्लीनिक तथा कृषि सलाहकार सहित अनेक विकल्प बताते हुए स्वरोजगार की प्रेरणा दी।
दीक्षान्त समारोह में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. एस. चाहल ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलपति ने बताया कि जैव तकनीक, संचार अभियांत्रिकी प्रबंधन विज्ञान, जल-कृषि, कृषि उपरान्त तकनीकी जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित मानव संसाधन की बढती हुई आवश्यकता को देखते हुए विश्वविद्यालय में वर्ष 2010-11 में एक स्नातक, तीन स्नातकोत्तर, दो शोध एवं 2 डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। साथ ही चार महाविद्यालयों में स्थापित छ: अनुभव आधारित अधिगम इकाई विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्रों में छात्रों में अनुभव व आत्मविश्वास के उन्नयन में प्रभावी भूमिका निभा रही है।
कुलपति प्रो. चाहल ने बताया कि विश्वविद्यालय में अनेक प्रशासनिक, वित्तीय सुधारों को मुर्त रूप दिया गया है इसमें संवर्धित बजट का प्रावधान, अनुसंधान का एक दशक, कृषकों की सेवा का एक दशक, विजन 2030, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की बारहवीं पंचवर्षीय योजना का प्रारूप व प्रॉस्पेक्टस का प्रकाशन तथा विश्वविद्यालय के एकीकृत अधिनियम की चर्चा भी की।
दीक्षान्त समारोह के समन्वयक डॉ. वीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि समारोह में राज्य पाल पाटील ने विश्वविद्यालय के 226 विद्यार्थियों को निष्णात एवं विद्यावाचस्पति उपाधियाँ प्रदान की। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2010 से 30 नवम्बर 2011 के मध्य अपना पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले 168 विद्यार्थियों को निष्णात एवं 58 विद्यार्थियों को विद्यावाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई। साथ ही इनमें से 17 सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किये गये।
जिला कलक्टर हेमन्त कुमार गेरा, पूर्व कुलपति राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के डॉ के. एन. नाग एवं अनेक गणमान्य नागरिक, अधिकारी, विश्वविद्यालय के पूर्व एवं वर्तमान निदेशक तथा अधिष्ठाता, संकाय अध्यक्ष, अतिथि एवं मेडल तथा उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के अभिभावक भी उपस्थित थे।
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