गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता सिधु पारे पर 7 दिवसीय आर्ट प्रदर्शनी
udaipur. प्रख्यात कवि रविन्द्रनाथ टैगोर की कविता ‘सिंधु पारे’ यानि समुद्र के उस पार ने देश के 5 तथा विदेश के 10 कलाकारों इतनी प्रेरणा दी कि वे उस कविता की थीम पर कला के विभिन्न रूपों में पिरोकर आर्ट प्रदर्शनी के रूप में उसे एक स्थान दिया है। यह आर्ट प्रदर्शनी आज से अम्बामात स्कीम स्थित स्कल्पचर कोर्ट में प्रारम्भ हुई जो 12 फरवरी तक प्रतिदिन शाम 6 से 9 बजे तक चलेगी।
आर्ट प्रदर्शनी के संयोजक संदीप पालीवाल ने बताया कि इस प्रदर्शनी में कला प्रेमियों को को सिंधु पारे कविता को संगीत,नाटक,पेन्टिग,फोटो तथा फिल्म के रूप में देखने को मिलेगी। देश के 5 तथा विदेश के 10 कलाकार इस कविता पर पिछले 10 माह से तैयारी कर रहे है और अब इसे अंतिम रूप दिया है। उन्होनें बताया कि कविता की मूल भावना समुद्र के उस पार में लेखक ने स्वप्र के रूप में इसका लेखन किया और स्वप्रदृष्टा को उसकी जीवन की यात्रा का वृतान्त बताया।
सात वर्ष पूर्व दो कला प्रेमियों ने रखी इसकी नींव- प्रतिवर्ष भारत में दो से तीन माह व्यतीत करने वाली कला प्रेमी डेनमार्क की एन विसबोल तथा इग्लैंड की याका हेलर ने करीब सात वर्ष पूर्व अचानक मिले और टैगोर की कविता को कला के विभिन्न रूपों में पिरोने पर मंथन किया। ये पुन: बिछड़े और इस कारवां में धीरे-धीरे एक-एक कर कला प्रेमी जुड़ते चले गये। सिंधु पारे कविता ने इन सभी को इतना प्रभावित किया कि ये सभी कलाकार एक स्थान पर एकत्रित होकर इस पर कार्य करने को सहमत हो गये।
ये है कला प्रेमी : कला प्रेमियों की इस यात्रा में चित्रकार,संगीतकार,मूर्तिकार, फिल्ममेकर, रंगकर्मी है। इसमें डेनमार्क के थोमस,स्वीडन के रेज़ फलाह, इग्लैंड के एन्ड्रयू, डेनियल, डेनमार्क की एमिलिया, इटली का नील, फ्रांस का पॉल मैथ्यू, उदयपुर के संदीप पालीवाल, कमल शर्मा,चिमन डांगी, शाहिद परवेज,समर्थ जानवे तथा दिल्ली के अतुल भल्ला शामिल है।
रात्रि के समय इस प्रदर्शनी को आयोजित करने के पीछे संदीप पालीवाल बताते है कि टैगोर की इस कविता में छिपे मूल भावों को मद्धिम रोशनी में संगीत के साथ देखने का एक अलग ही आनन्द मिलता है। इस प्रदर्शनी में प्रत्येक कलाकार ने अपनी सोच का इसमें समावेश कर इसमें जान फूंकी है। इस प्रदर्शनी में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का भी सहयोग रहा है।