कुश्ती में सफलता के लिए शारीरिक व मानसिक प्रशिक्षण जरूरी पर चौहान को पीएचडी
उदयपुर. मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय ने जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के स्पोट्र्स बोर्ड के निदेशक एवं सचिव दिलीपसिंह चौहान को उनके शोध ‘मानसिक एवं शारीरिक प्रशिक्षण का राजस्थान के विश्वविद्यालय स्तर के कुश्ती खिलाडिय़ों के निष्पादन पर प्रभाव का तुलनात्मक अध्ययन’ विषय पर पीएचडी की उपाधि प्रदान की है।
चौहान ने अपना शोध भूपाल नोबल्स शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. हितेश चंद्र रावल के निर्देशन में पूर्ण किया। शोधकार्य में डॉ. भूपेंद्रसिंह, डॉ. प्रीति कच्छावा, डॉ. सूर्यवीरसिंह सोलंकी, डॉ. गजेंद्रसिंह चौहान, सुशील सेन आदि का सहयोग रहा।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
कुश्ती खेल में मानसिक एवं शारीरिक प्रशिक्षणों का प्रभाव कुश्ती निष्पादन पर होता है। यदि खिलाडिय़ों के लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं तो उनका प्रदर्शन में बेहतर बनाया जा सकता है। विभिन्न परिस्थितियों में खिलाडिय़ों के प्रदर्शन तथा उनकी सावंगिक प्रतिक्रियाओं को भी शोध में वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के माध्यम से दर्शाया गया है। चौहान का मत है कि खिलाडिय़ों को कुश्ती में निश्चित स्तर व सफलता पाने के लिए निरंतर अभ्यास के साथ ही शारीरिक व मानसिक प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।
– कुश्ती खिलाडिय़ों से सकारात्मक प्रदर्शन की अपेक्षा करने से पूर्व उन्हें पर्याप्त आराम की सुविधा प्राप्त होनी चाहिए। अर्थात खेल एवं शारीरिक प्रशिक्षण कार्र्यक्रमों के मध्य पर्याप्त अंतर होना चाहिए।
सुझाव
यह अध्ययन कुश्ती खेल तक ही सीमित नहीं हैं, अन्य खेल के खिलाडिय़ों पर भी ऐसा अध्ययन व्यापक स्तर पर किया जा सकता है।
– इसमें पुरुष खिलाडिय़ों की विभिन्न शारीरिक, मानसिक प्रशिक्षण पहलूओं व मनोदशाओं का अध्ययन किया है लेकिन इसमें महिला खिलाडिय़ों को भी शामिल किया जा सकता है।
– यह अध्ययन विवि के खिलाडिय़ों व सामान्य स्तर के छात्रों तक ही सीमित था। इस प्रकार का अध्ययन विशिष्ठ व विभिन्न स्तर के खिलाडिय़ों पर भी किया जा सकता है।
– इस प्रकार का तुलनात्मक अध्ययन इनडोर खेलों के खिलाडिय़ों पर भी किया जा सकता है।