उदयपुर। स्कूलों में परिणाम घोषित हो चुके हैं और कुछ में तो नए सत्र भी शुरू हो गए हैं लेकिन महंगाई की दुहाई देते हुए स्कूल वालों ने अभिभावकों की जेब पर भी डाका डाला है. जहां एक ओर एडमिशन फीस के नाम पर अभिभावकों की जेब ढीली की जाती है वहीं स्टेशनरी, स्कूल के बताए व्यापारी के यहां से ही स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने की मजबूरी और फिर प्रतिमाह लगने वाली फीस….!
अभिभावक बौरा से गए हैं कि क्या करें-क्या न करें? मध्यमवर्गीय परिवारों का बजट बिगड़ चुका है। जिनका मई-जून में घूमने का प्ला न था, वह निरस्ता करके आसपास ही घूमने का प्ला न बना रहे हैं। एक बच्चे का खर्च न्यूनतम दो हजार रुपए स्टेशनरी, दो हजार रुपए फीस, बैग-बॉटल, जूते आदि करके अमूमन पांच से सात हजार रुपए लग रहा है। बताया गया कि कुछ निजी स्कूलों ने तो फीस बढ़ाने की हद ही कर दी है. दस फीसदी तक तो ठीक है लेकिन कहीं-कहीं 30 से 40 फीसदी तक फीस बढ़ाई गई है.
बेचारे अभिभावक, बच्चोंक की खातिर सब कुछ करने को तैयार हैं? अपना पेट काट कर, अपने कपडे़ नहीं खरीदकर बच्चों की पढ़ाई की खातिर सब कुछ कर रहे हैं लेकिन फिर इसके बदले स्कू़ल में कभी पढ़ाई नहीं तो कभी सिर्फ होमवर्क ही होमवर्क.