शिक्षक शिक्षा-21 वीं सदीं की चुनौतियों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में शुभारम्भ
उदयपुर। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति प्रो. नरेश दाधीच ने कहा कि अध्यापक वह नहीं जो पढ़ाता है अपितु वह है जो निरन्तर पढ़ता है। शिक्षा उद्देश्यपूर्ण शिक्षा से शिक्षित कौन होना चाहता है यह ध्यान रखकर ही शिक्षा दी जानी चाहिए। वे मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्व विद्यालय शिक्षा संकाय के तत्वावधान में राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित शिक्षक शिक्षा-21वीं सदीं की चुनौतियों पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा में सुधार केवल नवीन तकनीकों, प्रविधियों या पद्वतियों में प्रशिक्षण से ही संभव नहीं है बल्कि वैश्वीकरण के युग में 21 वीं सदी की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा दर्शन को समझना व उसका प्रशिक्षण देकर शिक्षक के गौरव को बढ़ाकर किया जा सकता है। उन्होंने अधिगमकर्ता को शिक्षा का मुख्य बिन्दु बताते हुए शिक्षा के प्रशिक्षण के साथ साथ विषय के दर्शन से छात्र को परिचित कराने पर बल दिया। शिक्षा एवं शिक्षक दोनों शब्दों की प्रासंगिकता वर्तमान में समझने की आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्टो अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के प्रबन्ध संकाय के निदेशक प्रो. पी. एन. मिश्रा थे। अध्यक्षता सुविवि उदयपुर कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी थे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. पी. एन. मिश्रा ने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि शिक्षक शिक्षा में 21 वीं सदी की चुनौतियों के अनुरूप परिवर्तन आवश्यक है। वैश्वीकरण, निजीकरण के युग में नवीन तकनीकों को अपनाने के साथ शिक्षक को ज्ञानवान, नैतिक मूल्यों को प्रतिस्थापित करते हुए प्राचीनकाल की गुरू परम्परा को अपनाना होगा क्योंकि भविष्यण में होने वाली क्रान्तियाँ श्रमिकों द्वारा नहीं अपितु युवाओं द्वारा होगी जिनका वर्तमान में निहित स्वार्थ न्यूनतम होता है। शिक्षक शिक्षा युवाओं को दिशा दे सके ऐसे बदलाव अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले शिक्षक बनने का गौरव हमें स्वदयं में जाग्रत करना चाहिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने बताया कि शिक्षक शिक्षा के गौरव को सभी आयोगों एवं समितियों ने स्वीकारा है। शिक्षक शिक्षा में गुणवत्ता लाने हेतु शोध तकनीकी का प्रशिक्षण सदर्भ व्यक्तियों हेतु आवश्यक माना। शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षण छात्र आधारित होने चाहिए।
संगोष्ठी निदेशक प्रो. कैलाश सोड़ानी ने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए संगो_ठी के औचित्य एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सचिव डॉ. प्रभा वाजपेयी ने कार्यक्रम का विस्तार से परिचय देते हुए शिक्षक शिक्षा के तीन उप आयामों की जानकारी दी।
प्रसिद्व शिक्षाविद्व डॉ. ओ.एस. देवल, डॉ. ए.बी. फाटक, डॉ. डी.आर विज, डॉ. सी.बी.शर्मा, डॉ. एम.पी.शर्मा, डॉ. अनिल शुक्ला आदि का कार्यक्रम में सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. विनोद अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. निरूपमा शर्मा एवं अंकुर कपूर तुली द्वारा किया गया।