मोलेला की कला में दिखेगा ‘रागमाला’
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गांव स्थित कला परिसर शिल्पग्राम में मंगलवार से मृण कला कार्यशाला ‘‘आकृति’’ का आयोजन किया जायेगा। लगभग 20 दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में मिट्टी कला के लिये विश्वविख्यात मोलेला के एक दर्जन मृदा शिल्पकार भाग लेंगे।
केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने बताया कि मृदा शिल्प में राजसमन्द जिले के molela आज अपनी विशिष्ट शैली के लिये विश्वविख्यात है। teracota पैनल पर लोक आराध्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को उत्कीर्णन यहां की विशेषता है। वहीं कुछ शिल्पकारों ने परंपरागत मृदापट्ट बनाने के साथ-साथ अपनी कला में नव प्रयोग भी किये हैं। मोलेला की कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है तथा इस क्षेत्र के शिल्पकारों को राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सममानित भी किया गया है। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा नव सृजन को बढ़ावा देने तथा इस अनूठी शैली को जन सामान्य के समक्ष प्रस्तुत करने के ध्येय से शिल्पग्राम उदयपुर में 20 दिवसीय कार्यशाला ‘‘aakriti’’ का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में मोलेला के मृदा शिल्पी शिल्पग्राम में रह कर विषय परक सृजन कार्य करेंगे।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला के लिय ‘रागमाला’ विषय का चयन किया गया है। ‘रागमाला’ शास्त्रीय संगीत, कविता और कला का अनूठा मिश्रण है। कई चित्र शैलियों में राग मालाओं का चित्रण हमारे चितेरों ने किया है। इसमें छ: प्रमुख राग भैरव, दीपिका, श्री, मालकौंस, मेघ व हिण्डोला ऐसी है जो विभिन्न ऋतुओं में गाइ जाती है। कार्यशाला में मोलेला के मृदा शिल्पी इन रागों पर आधारित चित्रों को मोलेला शैली में उत्कीर्णित करेंगे।