उदयपुर। कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रबन्धन विभाग के सह आचार्य एवं परियोजना प्रभारी डॉ सुखदेवसिंह बुरडक एवं उनकी टीम ने बाजरे की कटाई उपरान्त रहने वाले बाजार भाव का पुर्वानुमान लगाया है। उन्होंने कृषकों से आग्रह किया कि वे इन तथ्यों को ध्यान में रखकर बाजरे की फसल के क्षैत्रफल निर्धारण का फैसला लें।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना के कृषि अर्थशास्त्र विभाग ने कृषकों तक मूल्य पूर्वानुमान पहुंचाने के उद्वेश्य से किये गये शोध मे बाजरा फसल की संभावित कीमत का पूर्वानुमान लगाया गया है। भारत में मुख्य बाजरा उत्पादक राज्य हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश व राजस्थान है और राजस्थान में मुख्य बाजरा उत्पादक जिले जयपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर व बीकानेर है।
इस वर्ष (2012) बाजरे के न्यूनतम समर्थक मूल्य में पिछले वर्ष की तुलना मे 195 रुपये बढकर 1175 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। राजस्थान सरकार ने वर्ष 2011—12 में बाजरा का रिकार्ड क्षेत्रफल व उत्पादन क्रमश: 49.86 लाख हैक्टेयर व 64.34 लाख टन होने का अनुमान लगाया था। और इसी दौरान भारत में बाजरा का उत्पादन 10.17 मिलीयन टन होने का अनुमान था।
विश्लेषण के आधार पर चौमू मण्डी के 11 वर्ष के औसत मूल्य का अर्थमितीय शोध और इस मण्डी के अनुभवी विशेषज्ञ व व्यापारी गण के अनुभव के आधार पर तथा डेमिक कोयम्बटूर की सलाहनुसार बाजरे की कटाई के समय चौमू मण्डी में (सितम्बर—नवम्बर 2012) अच्छी गुणवत्ता वाले बाजरे का भाव लगभग 900-1100 रुपये प्रति क्विंटल रहने की सम्भावना है जो कि सरकारी खरीद मूल्य से काफी कम है।