झील हितैषियों ने लिखा मुख्य सचिव को पत्र
यूसीसीआई को काम देने का आग्रह
उदयपुर। झील संरक्षण समिति एवं अन्य संबद्ध संगठनों ने आयड़ नदी से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर मुख्य सचिव सहित राज्यपाल एवं जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा है।
कार्यकर्ता भंवरसिंह राजावत ने बताया कि आयड़ नदी अतिक्रमण व प्रदूषण की शिकार हो सिवरेज नाले का रूप धारण कर चुकी है। वर्षों से आयड़ नदी सुधार के लिए घोषणाएं हुई हैं, नगर विकास प्रन्यास व नगर परिषद प्रतिवर्ष बजट मे करोडों रुपए आयड़ के सौन्दोर्यीकरण के नाम पर रखते हैं लेकिन अब तक सिर्फ घोषणाओं से ही आयड़ का सुधार व सौन्दजर्यकरण हुआ है। उन्होंंने आरोप लगाया कि असल में आयड नदी के सुधार के लिए कभी कुछ नहीं किया। वर्तमान मे आयड़ नदी पेटे में अतिक्रमण चिन्हित करने नगर विकास प्रन्यास द्वारा लाखों रुपए खर्च कर अतिक्रमण चिह्नित किये व अतिक्रमण हटाने का कार्य भी यूआईटी कर रही है।
सन् 2009-2010 में उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के नेतृत्व में जन सहयोग से चैम्बर व कई अन्य सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से आयड़ नदी जल सुधार योजना के तहत सूखे नाके पर ग्रीन ब्रिज बना इको सिस्टम से आयड़ के पानी को साफ करने की तकनीक को मूर्त रूप दिया व प्राकृतिक इको सिस्टम से पानी साफ करने की यह तकनीक पूर्णत: सफल रही व देश-विदेश से कई विशेषज्ञों ने तकनीक का अध्ययन किया व उनके वहां इस तकनीक को अपनाया।
जनप्रतिनिधियो व जिला प्रशासन व निकायों की थोथी घोषणाओ से जनता उब चुकी है। झीलों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध इस विश्वस प्रसिद्ध नगर में लाखों विदेशी व देशी पर्यटक प्रति आते हैं। यहां का मुख्य व्यकवसाय पर्यटन पर आधारित है।
केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, स्थानीय निकाय, स्थानीय जनप्रतिनिधि आयड़ नदी का वास्तव में सुधार करना चाहते हैं तो सबसे पहले बिना पक्षपात किये नदी पेटे से ईमानदारी से अतिक्रमण हटाने , स्वरूप सागर ओवरफ्लो के सामने किये अतिक्रमण हटाने नदी पेटे मे नलकूप बंद करने , अतिक्रमणकारियों व नदी को नुकसान पहुंचाने वालों के विरूद्व उचित कानूनी कार्यवाही करें।
तीन वर्ष से आयड़ नदी जल सुधार योजना का संचालन यूसीसीआई कर रही है। राज्य सरकार, जिला प्रशासन व निकास आयड़ नदी सुधार के लिए कार्य करने लिए यदि दृढ़ संकल्पित है तो आयड़ नदी सुधार का कार्य यूसीसीआई को दिया जाना चाहिए। यूसीसीआई अपने स्तर पर आयड नदी की डी.पी.आर. बना राज्य सरकार व जिला प्रशासन को प्रेषित कर सकता है वरना ठेकेदार से डी.पी.आर. बनवाने मे लाखों रुपए तो खर्च होंगे, साथ ही समय भी काफी बर्बाद किया जाएगा।
उदयपुर की झीलों को साफ सुथरा रखने व पानी की गुणवता सुधारने भारत सरकार ने करोडों रूपये एनएलसीपी के तहत स्थानीय निकायों को दिए उन पैसों में से करोडों रूपये खर्च भी किये जा चुके है बावजूद झीलो की स्थिति हमारे सामने है। एन.एल.सी.पी. के तहत उदयपुर की झीलो के सुधार हेतु हुए काम की तरह ही आयड़ नदी के सुधार पर भी काम होना चाहिए।
आयड़ नदी सुधार का कार्य ठेके पर नहीं दें। यू.सी.सी.आई. के द्वारा आयड नदी जल सुधार योजना के तहत ग्रिन ब्रिज सूखे नाके पर किये कार्य की समीक्षा कर आयड नदी सुधार का कार्य यू.सी.सी.आई. के नेतृत्व मे ही कराया जाना आयड नदी के हित मे रहेगा।