udaipur. मन बहुत चंचल है। हम किसी के प्रति बुरा बर्ताव करते हैं तो सबसे पहले मन ही बुरे विचारों से ग्रसित होता है। कल्पना ही कल्पना द्वारा मन रूपी गगरी पाप रूपी कीचड़ से भर ली जाती है और व्यर्थ में ही पाप बंध का निमित्त मन बन जाता है।
ये विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में अध्यात्म योगी आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा मन को मारना नहीं है बल्कि समझाना है, क्योंकि मारा हुआ मन शीघ्र ही उद्वेलित हो जाता है और समझाया हुआ मन हमेशा के लिए अथवा चिरकाल तक शांत रहता है। आचार्यश्री ने कहा कि मन को धर्मरूपी जड़ की तरह मजबूत करना चाहिये। अधर्म से धर्म की ओर मन को लगाना चाहिये। धर्म में लगा मन कभी चंचल नहीं होता है।
आज मनेगा रक्षाबन्धन महोत्सव-चातुर्मास समिति अध्यक्ष भंवरलाल मुण्डलिया ने बताया कि सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आचार्य सुकुूमालनन्दी गुरूदेव ससंघ के सानिध्य में रक्षाबन्धन महोत्सव मनाया जाएगा। यहां सभी समाजजन देव शास्त्र गुरू को राखी बान्ध कर धर्म अपनाने का संकल्प लेंगे वहीं कृत्रिम सम्मेदशिखर पर्वत पर 11 किलो का निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाएगा। इस दौरान आचार्यश्री का रक्षाबन्धन के उपलक्ष्य में मार्मिक उद्बोधन प्रात: 9 बजे होगा। रात्रि को रक्षा बंधन पर विशेष प्रश्न मंच व विशेष नाटिका का आयोजन होगा।
देव शास्त्र- गुरू की रक्षा पर्व है रक्षाबन्धन-आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने बताया कि रक्षा बन्धन पर्व मात्र भाई- बहनों का ही त्यौहार नहीं अपितु यह आपसी सहधर्मियों के प्रति प्रेम, वात्सल्य का त्यौहार है। धर्म की रक्षा करें यह बन्धन सभी को दिलवाने का पर्व है। इस महापर्व पर आचार्यश्री ने सभी को शुभ आशीष एवं शुभकामनाएं प्रेषित की है।