उदयपुर। गलती करना मानवीय स्वभाव है, गलती इंसान से ही होती है। जो गलती पर गलती करे उसे शैतान कहते हैं, लेकिन जो एक बार गलती करके सुधर जाए उसे इंसान कहते हैं। यह विचार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि यह नहीं सोचना चाहिये कि इंसान गलती करता ही नहीं है या उससे गलती हो ही नहीं सकती। जिससे गलती होती ही नहीं हो वह तो भगवान का रूप होता है इंसान का नहीं। उन्होंने कहा कि गलती को दोहराना नहीं यही मानवता कहलाती है। की हुई गलती को दुबारा और बार- बार करना यह मूर्खता कहलाती है। यह तो जानवर ही होते हैं जिन्हें न तो गलती का अहसास होता है और न ही वह गलती को समझ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मानव या इंसान बनना तो सरल है लेकिन इंसानियत को धारण करना मुश्किल होता है। इंसानियत धारी इस दुनिया में बिरले ही दिखाई देते हैं। गलती होना स्वभाविक है, उसका पछतावा करें या न करें यह अलग बात है लेकिन यह जरूर ध्यान रखना चाहिये कि की हुई गलती दुबारा न हो।
धर्मसभा के प्रारम्भ में मंगलाचरण हुआ और दीप प्रज्वलन की रस्म प्रमोद चौधरी ने अदा की। उन्होंने बताया कि खुणादरीअतिशय क्षेत्र के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री को आगामी जनवरी माह में वहां आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम के लिए निवेदन किया।