udaipur. जिस प्रकार बादल के हट जाने पर धरती पर सुनहरी धूप खिल उठती है, उसी प्रकार मोह रूपी बादल के हट जाने पर ज्ञान रूपी धूप खिलती है। यह जीवन आदिकाल से अज्ञानी है, इसका कारण यह है कि उस पर मोह रूपी पर्दा लगा हुआ है। जब तक मोह रूपी पर्दा नहीं हटेगा तब तक यह जीव ज्ञानी नहीं बन सकता है।
उक्त विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि मोह एक महामद है। यह मदिरा- शराब से भी खतरनाक है। शराबी व्यक्ति का नशा तो रात को रहता है और सुबह तक उतर जाता है, लेकिन मोह रूपी मदिरा का नशा तो भव-भव तक रहता है और इस जीव के विवेक व ज्ञान को उद्घाटित होने में बाधाएं उत्पन्न करता है।
आचार्यश्री ने कहा कि अगर वाकई में जीवन में ज्ञानार्जन करना है तो मोह रूपी पर्दा हटाना जरूरी है अन्यथा ज्ञान प्राप्त करने में लगातार बाधाएं उत्पन्न होती रहेगी। चातुर्मास समिति के भंवरलाल मुण्डलिया ने बताया कि सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में सोमवार से रत्नकण्डक श्रावकाचार का शिविर होगा जिसमें सैकड़ों श्रावक- श्राविकाएं भाग लेंगे। रविवार को कौन बनेगा महावीर ज्ञान वर्धक प्रतियोगिता का आयोजन होगा।