udaipur. धर्म की परिभाषा क्या है, इसके लिए अलग अलग लोग अलग अलग राय देते हैं। वस्तु का स्वभाव धर्म है। उत्तम क्षमादि दश लक्षण धर्म है, परोपकार धर्म है, जीवों की रक्षा करना धर्म है।
लेकिन इससे धर्म अलग नहीं हो जाता है। अधर्म और कुधर्म के अलग- अलग भेद व प्रकार हो सकते हैं, लेकिन धर्म का स्वरूप एक है और एक ही रहेगा जो आत्मा को पतित से पावन की ओर ले जाए वही धर्म है। जो अधर्म को छुड़ाकर धर्म की और आत्मा को ले जाए उसे धर्म कहते हैं। उक्त विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में अध्यात्म योगी आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये।
श्रावक संस्कार का दूसरा दिन-सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चल रहे श्रावक संस्कार शिविर के दूसरे दिन शिविरार्थियों की जबर्दस्त भीड़ रही। शिविर में शहर के अलावा बाहर से भी शिविरार्थियों के पहुंचने का क्रम बना हुआ है। यह शिविर आचार्य सुकुमालनन्दी के सानिध्य में आयेाजित है।