धार्मिक अनुष्ठानों का उद्देश्य आत्मा की विशुद्धि: आचार्य सुकुमालनन्दी
udaipur. तप करना मानवता का दिव्य अनुष्ठान हैं। तप आत्मा की विशुद्धि के लिए किया जाता है। तप करने से आत्मा का तो तपन होता ही है साथ ही उसमें कर्मों को भस्मभूत करने की सामर्थ्य भी होता है।
दिन में 10-20 बार खाने-पीने वाले युवाओं का 32-33 दिनों तक बिना भोजन-पानी के रहना, इस कलिकाल का महान आश्चर्य है और यह एक चमत्कारिक कर्म भी है। उक्त उद्गार आचार्य कुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित शाही कॉम्पलेक्स में आयोजित तपस्या के पारणोत्सव के दौरान आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्य ने कहा कि जितने भी धार्मिक अनुष्ठान होते हैं उन सबका उद्देश्य आत्मा की विशुद्धि है। निश्चित ही तपस्या करने से क्रोध- मान- माया व लोभ कषायों का अभाव होता है। आचार्यश्री ने कहा कि तप तीन प्रकार के होते हैं उनसे से जो तप आत्मा की विशुद्धि के लिए किया जाता है वह तप सात्विक कहलाता है। वही कर्म की निर्जरा व मोक्ष प्राप्ति का साधन हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि 165 तपस्वियों में से शेष बचे 16 व 32 उपवासधारी 29 तपस्वियों ने आज आचार्य सुकुमालनन्दी की निश्रा में पारणा किया।
-आचार्यश्री से पूछा गया कि 16 व 32 उपवास व्रत कौनसे होते हैं? आचार्यश्री ने बताया कि 16 व 32 उपवास सोलहकरण व्रत सम्बन्धी होते हैं।
-इनसे क्या फल मिलता है?- आचार्यश्री ने बताया कि इन 16 व 32 उपवास करने से तीर्थकर प्रकृति कर्म का बन्ध होता है, आत्मा की विशुद्धि बढ़ती है तथा कर्मों की निर्जरा होती है।
-इसकी विधि क्या है? आचार्यश्री ने बताया कि गुरूदेव या भगवान की प्रतिमा के समक्ष उपवास का संकल्प लेकर रोज जाप्य करते हुए और अन्त में विधान करके व्रत का अनुष्ठान किया जाता है।
-तपस्वियों ने इतने दिनों तक क्या लिया? – सभी तपस्वियों ने 32-33 दिनों में सिर्फ गर्म शुद्ध जल ही ग्रहण किया वो भी चार-पांच दिनों के अन्तराल में। ऐसी तपस्या करना कलिकाल में अत्यन्त ही दुर्लभ है।
-कैसे हुए इतने कठिन तप- तपस्वियों ने बताया कि आचार्य सुकुमालनन्दी जी की प्रेरणा व उनके दिव्य आशीर्वाद से निर्विध्न व सानन्द रूप से तप पूरे हुए।
-दीक्षा का नारियल- 33 उपवासधारी राजेश जैन ने जब गुरूदेव को दीक्षा हेतु नारियल चढ़ाया तो पूरे पाण्डाल में हर एक की आंखें नम हो गई। आचार्यश्री ने उन्हें कहा कि पहले गृहस्थ जीवन के सम्पूर्ण कर्तव्यों को पूरा करने के बाद ही संयम धारण करने का आशीर्वाद दिया।
प्रन्यास मण्डल अध्यक्ष भंवरलाल मुण्डलिया व महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि 3 अक्टूबर को आदिनाथ भवन में गांधी जयंति मनाई जाएगी। पारणा महोत्सव से सभी तपस्यिों की आदिनाथ भवन सेक्टर 11 से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जो गाजे-बाजे के साथ शाही कॉम्लेक्स स्थित महोत्सव स्थल पहुंची। शोभा यात्रा में श्रद्धालु उमड़ पड़े और उत्साह और उमंग के साथ नाचते- गाते चल रहे थे।