udaipur. शरीर तो पुद्गल है, जड़ है जबकि आत्मा चेतन हैं। जीव है। एक आदमी दो पात्र लेकर चल रहा है, एक छाछ का ओर एक घी का। यदि रास्ते में उसे ठोकर लगे तो वह सबसे पहले घी से भरे पात्र को ही बचाएगा और छाछ का पात्र भले ही गिर जाए।
उसी प्रकार संसार जीव के पास आत्मा और शरीर रूपी दो पात्र हैं जिसमें आत्मा का पात्र घी के पात्र के समान हैं जबकि शरीर का पात्र छाछ के पात्र के समान हैं। हमें पहले शरीर की नहीं आत्मा की रक्षा करनी है, उसे बचाना है।
ये विचार आचार्य सुकुमालनंदी ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित विशाल धर्म सभा में व्यक्त किये। आचार्य ने कहा कि आत्मा का सम्मान ही सर्वश्रेष्ठ होता है। धर्मसभा के दौरान ही आचार्यश्री के सानिध्य में सभी तपस्वियों का सम्मान- अभिनन्दन किया गया।
उल्लेखनीय है कि सभी 165 तपस्वी सेक्टर 11 के निवासी हैं और अब तक की सबसे बड़ी तपस्या भी सेक्टर 11 उदयपुर के निवासियों के नाम रही। अहमदाबाद से 10 बसों में यात्री आएं और शाम की आरती करने का सौभाग्य अमृतलाल टीमरवा अहमदाबाद वालों ने लिया। चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि नवरात्री में विभिन्न व्रतों के उद्यापन पर विभिन्न विधानों का अनुष्ठान वृहद रूप से आदिनाथ भवन में मनाया जाएगा।