udaipur. जिसकी कथनी व करनी में अन्तर है वह मानव नहीं व्यंतर हैं। जिसके मुंह और मन के बीच रेखा है उससे बड़ा ठग इस दुनिया में नहीे है। जिसके हृदय व वाणी के मध्य खाई है वह मानव नहीं कसाई है।
इस दुनिया में जितना अन्तर जमीन व आसमान में हैं उससे कहीं ज्यादा अन्तर कथनी व करनी में जिसके होता है उसका अद्योपतन अवश्यम्भावी है। उक्त उद्गार आचार्यश्री सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में शुक्रवार को आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि मुंह में राम बगल में छुरी कहावत को चरितार्थ करते हुए व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता है। जो व्यक्ति भगवान गुरू के सामने तो बहुत भक्ति व चापलूसी करते हैं वे मन्दिर से बाहर आकर या गुरू की पीठ के पीछे निन्दा करते हैं तो समझ लेना उस व्यक्ति को दुर्गति का बन्ध हो गया है या उसकी दुर्गति में जाने की तैयारी हो रही है। उनका वर्तमान और भविष्य दोनों ही दु:ख के स्वरूपों में बदल जाते हैं।
इससे पूर्व सभी तपस्वियों और बाहर के अतिथियों द्वारा आदिनाथ भवन में विधान का आायेजन किया गया। सभी ने आचार्यश्री के सानिध्य में श्रीफल अर्पित किये। बाहर से आने वालेे अतिथियों के क्रम में कलकत्ता, आसाम, मद्रास, दिल्ली, मुम्बई, जयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, खैरवाड़ा, ऋषभदेव व आस-पास के गांवों के अनेक अतिथि शामिल हैं। इस अवसर पर मुम्बई के ट्रस्टियों द्वारा वहां के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा व मुम्बई चातुर्मास हेतु सुरेश कोठारी व अन्य प्रतिनिधियों ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट किया।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि 7 अक्टूबर को प्रात: 9.00 बजे से उदयपुर सहित व अन्य क्षेत्रों के सभी उपवा व्रत धारी तपस्यिों का सम्मान आचार्य सुकुमालनन्दी गुरूदेव के सानिध्य में आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आयोजित होगा।