लकवे का इलाज मंदिरों में नहीं होता
udaipur. जीबीएच अमेरीकन हॉस्पीटल के वरिष्ठ न्यूरोलोजिस्ट डॅा. अतुलाभ वाजपेयी ने बताया कि विश्व में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण ह्दय रोग हुआ करता था लेकिन आज उसकी जगह पक्षाघात ने ले लिया है और यही कारण है कि विश्व में प्रत्येक 6 मिनिट में एक मृत्यु होती है। आज भी पक्षाघात को लेकर जन साधारण में जागरूकता का अभाव है।
जनता ह्दय रोग होने से पहले आने वाली चेतावनी को समझ कर उसका उपचार कर लेते है लेकिन पक्षाघात होने से पूर्व शरीर में होने वाले लक्षणों को नजरअन्दाज कर अनजाने में किसी बड़े खतरे को चेतावनी दे देते है। वे कल रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित ‘पक्षाघात-रोकथाम एंव उपचार’ विषयक वार्ता मे मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होनें बताया कि विश्व में प्रतिवर्ष करीब 7 लाख लोग पक्षाघात से मरते है जो टीबी से डेढ़ गुना व मलेरीया से मरने वाले लोगो से 22 गुना अधिक है। शरीर के हर भाग को दुबारा बनाया जा सकता है लेकिन मुस्तिष्क कभी दुबारा नही बनता है। करीब 500 मिलीयन वर्षो इतिहास लिये मस्तिष्क में 100 बिलीयन सेल्स,12 मिलीयन ब्रेन सेल्स होते है।
उन्होनें बताया कि पक्षाघात होने के तीन घंटे भीतर रोगी को अस्तपाल पहुंचा देने से उसके ठीक होने का प्रतिशत काफी बढ़ जाता है। उन्होनें सलाह दी कि शरीर में होने वाले अचानक परिवर्तनों आवाज में लडखड़ाहट, सुस्ती अथवा बेहोशी,मिर्गी का दौरा या ताण आना, आंखों की रोशनी में कमी या धुंधलापन,तीव्र सिरदर्द,उल्टी होना,हाथ-पंाव या चेहरे पर कमजोरी या सुन्नता तथा भाषा को समझने मे परेशानी को नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये परितर्वन स्ट्रोक को आमंत्रण देने से पूर्व की चेतावनी हो सकते है।
ब्रेन की एन्जियोग्राफी व एन्जियोप्लास्टी-डॅा. वाजपेयी ने बताया कि पक्षाघात के मामले में साइंस ने काफी तरक्की कर ली है और यही कारण है ह्दय की एन्जियोग्राफी व एन्जियोप्लास्टी की तरह ही मस्तिष्क की भी एन्जियोग्राफी व एन्जियोप्लास्टी कर मस्तिष्क की धमनियों में जमे खून के धक्के को दूर किया जा सकता है। पिछले 2 दशकों में न्यूरो में बहुत विकास हुआ है और यही कारण है कि अब मस्तिष्क की सर्जरी की संभावना बुहत कम हो गयी है।
क्लब अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि वार्ता से निश्चित रूप से आमजन लाभान्वित होगा और शरीर में होने वाले अचानक परिर्वतनों को हलके में न लेगा। इससे पूर्व प्रांरभ में चन्दप्रभा मोदी ने ईश वंदना प्रस्तुत की। के. पी. गुप्ता ने डॅा. वाजपेयी का परिचय दिया तथा डॅा. ए. के. गुप्ता ने डॅा. वाजपेयी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। अंत में सचिव ओ. पी . सहलोत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।