तीसरा राष्ट्रीय युवा अधिवेशन आरम्भ
udaipur. ‘युवाओं में गुस्सा लाजमी है, लेकिन अगर इस गुस्से को सकारात्मक दिशा में मोड़ दिया जाए तो लोकतंत्र में युवाओं की आवाज को कभी अनसुना नहीं किया जा सकेगा।’ ये विचार तीसरे राष्ट्रीय युवा अधिवेशन को संबोधित करते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक एवं गांधीवादी नेता पी. वी. राजगोपाल ने व्यक्त किए।
उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन, आस्था, जोश, एक्शंन एड, डगर व सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान द्वारा उदयपुर के महाराणा भूपाल स्टेडियम में भण्डारी दर्शक मण्डप में युवा एवं लोकतंत्र विषय पर दो दिवसीय ‘‘तृतीय राष्ट्रीय युवा अधिवेशन’’ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के 15 राज्यों के लगभग 2 हजार युवा भाग ले रहे हैं। शनिवार को सुबह 10 बजे सूचना केंद्र के रंगमंच पर उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए पी.वी. राजगोपाल ने कहा कि चुप रहने और हिंसा करने के बीच अब सक्रिय अहिंसा का मार्ग युवाओं को चुनना चाहिए। हाल ही में एकता परिषद के जनसत्याग्रह को मिली जीत इसी सक्रिय अहिंसा का परिणाम है।
अधिवेशन के प्रारम्भिक सत्र में जवाहर लाल नेहरू विश्वेविद्यालय के प्रोफेसर एवं जाने माने अर्थशास्त्री डॉ. प्रभात पटनायक, राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य हर्षमंदर, रेमन मैग्सैसे अवार्ड विजेता अरूणा रॉय एवं प्रख्यात नारीवादी विचारक एवं लेखिका कमला भसीन ने भी सम्बोधित किया।
अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कमला भसीन ने कहा कि लोकतंत्र की शुरूआत हमें परिवार से करनी होगी। यदि हम घर में अपनी पत्नि, बहिन और मां के साथ गैर बराबरी का व्यवहार करते है, तो समानता का लोकतांत्रिक मूल्य कहां से लाएंगे? जब तब न्याय, समानता और मानव अधिकारों को हम घर में लागू नहीं करते तब तक वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना मुश्किल है।
प्रभात पटनायक ने कहा कि पिछले दो-तीन बजटों में कॉर्पोरेट समूहों को लगभग को करों में लगभग 5 लाख करोड़ की छूट दी गई है जबकि इतने ही पैसों से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, भोजन एवं वृद्धावस्था पेंशन के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता था लेकिन सरकार कॉर्पोरेट्स पर मेहरबान है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को हित देखे लेकिन आजकल सरकार सिर्फ पूंजी का ही ध्यान रखती है ना कि लोगों का।
उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य हर्षमंदर ने कहा कि युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह देश में फैली सामाजिक असमानताओं को माने और उन्हें सही करने की दिशा में सोचना शुरू करे। हमें ऐसे समय लोकतंत्र के बारे में सोचना कि आज भी मुसहरों के परिवार अपने बच्चों को यह सिखाने पर मजबूर हो कि भूखा कैसे सोया जाए।
रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय ने कहा कि लोकतंत्र में वोट देने वाला प्रत्येक व्यक्ति मालिक है और वोट से चुन कर आया जनप्रतिनिधि सेवक है। ऐसे में मालिक को सेवक से सवाल पूछने का और जवाब लेने का पूरा हक है और युवाओं को भी इन सबका उपयोग करना चाहिए।
समारोह में अरूणा रॉय द्वारा लिखित लेखों की पुस्तक ‘सत्यमेव जयते’ व भंवर मेघवं_ाी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सूलिया मंदिर प्रवेश आंदोलन-संघर्ष और विजय’ व डायमण्ड इण्डिया के युवा विशेषांक का जनविमोचन किया गया। उद्घाटन समारोह को त्रिपुरारी शर्मा (प्रोफेसर, एनएसडी), मजदूर किसान शक्ति संगठन के निखिल डे ने भी सम्बोधित किया। संचालन दलित आदिवासी एवं घुमन्तू अधिकार अभियान के संस्थापक भंवर मेघवंशी ने किया।