आदिम संस्कृति का महाकुंभ बेणेश्वर धाम पर मुख्य मेला
Udaipur/डूंगरपुर। जनजाति अंचल में वागड़ प्रयाग के नाम से विख्यात बेणेश्वरधाम पर सोम और माहीसागर संगम तीर्थ पर सोमवार को माघ पूर्णिमा पर आयोजित मुख्य् मेले में गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के लाखों श्रद्घालुओं ने शिरकत की।
सोमवार शाम तक मेला स्थल पर जुटे लाखों मेलार्थियों ने मेले की विभिन्न लोक रस्मों और देव-दर्शनादि में हिस्सा लेते हुए इसकी विशालता का अहसास कराया। हजारों मेलार्थियों ने अपने परिजनों की मुक्ति की कामना से आबूदर्रा स्थित संगम तीर्थ में पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ अस्थियों का विसर्जन किया। सोमवार सुबह से शुरू हुआ अस्थि विसर्जन का क्रम दोपहर बाद तक चरम पर था।
मेले में कल रात से ठहरे मेलार्थियों ने माघ पूर्णिमा का पुण्य कमाने पवित्र जल में डुबकी लगाई। दिन भर मेलार्थियों के संगम तीर्थ की पवित्र जलराशि में डुबकी लगाने का क्रम बना रहा। मेलार्थियों ने नदी के घाटों, संगम तटों तथा शिलाखण्डीय टापूओं पर आटा गूंथा तथा सरकण्डे जलाकर बाटियां सेंकी। गुड़़/शक्कर, घी मिलाकर चूरमा बनाया और भगवान को भोग लगाकर परिजनों के साथ सामूहिक भोज लिया। बेणेश्वर धाम पर मेलार्थियों के जमा होने का क्रम दिन भर रहा, जिससे संगम तटों, देवालयों, मेला बाजारों और प्रदर्शनी स्थलों पर भारी सैलाब उमड़ता रहा। राधा-कृष्ण देवालय पर संत मावजी महाराज की जयंती माघशुक्ल ग्यारस को महंत अच्युतानंद द्वारा सप्तरंगी ध्वज चढ़ाने से शुरू हुआ मेला उभार पर रहा।
मुख्य आकर्षण निष्कलंक भगवान एवं महन्त की पालकी यात्रा एवं संगम पर शाही स्नान रहा। मावजी महाराज की जन्मस्थली साबला के हरि मन्दिर से सोमवार सवेरे गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ निष्कलंक भगवान एवं महंत अच्युतानंद की पालकी यात्राएं निकली। पालकियां राधाकृष्ण मंदिर पहुंची जहां महंत ने देव दर्शन किए। इसके बाद पुन: हजारों भक्त पालकियों को लेकर जलसंगम तीर्थ ‘आबूदर्रा’ की ओर बढे जहां ाहन्त ने जल तीर्थों का आह्वान किया।