एमपीयूएटी में लगी फल-सब्जियों की प्रदर्शनी, विज्ञान मेला भी
Udaipur. सांसद रघुवीरसिंह मीणा ने कहा कि कृषक समुदाय खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाएं ताकि कृषि की विकास दर बढ़ सके। मैं भी कृषक हूं तथा अपने खेतों पर नई कृषि प्रौद्योगिकी का समावेश करता हूं।
वे महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से सोमवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय परिसर में विज्ञान मेला-2013 व पुष्प, फल व सब्जी प्रदर्शनी के उदघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े तथा नवीन कृषि प्रौद्योगिकी का उपयेाग कर कृषि क्षेत्र के विकास में भागीदारी निभायें। कुलपति प्रो. गिल ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी अपनाने की सलाह दी। अतिथियों ने मेला प्रांगण में लगी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी तथा पुष्प, फल एवं सब्जी प्रतियोगिता के विभिन्न स्टालों का अवलोकन किया।
कृषि प्रदर्शनी में मुख्य रूप से पेस्टीसाईड्स, उर्वरक, उन्नत बीज, सिंचाई के उपकरण पाईप, परिरक्षित कृषि उत्पाद, ट्रेक्टर, फार्म मशीनरी के स्टाल लगाए गए थे जबकि विश्वविद्यालय के विभिन्न संघटक महाविद्यालयों एवं विभागों द्वारा कृषकों को विभिन्न कृषि उपादानों, प्रौद्योगिकी, उत्पादों एवं तकनीकों की जानकारी मॉडल एवं सजीव पौध एवं पशु प्रजातियों के माध्यम से प्रदर्शित की गई थी जिनको सभी कृषक भाई-बहनों ने बहुत रुचि के साथ देखा व समझा।
पुष्प, फल एवं सब्जी प्रदर्शनी में विभिन्न प्रतियोगिताएं हुई। इनमें राज्य के विभिन्न जिलों के कृषकों ने भाग लिया। इन प्रतियोगिताओं में विभिन्न प्रकार के कट फ्लावर की 250 प्रविष्टियां, फलों की 157 एवं सब्जियों की 335 प्रविष्टियों के साथ ही अलंकृत पौधों की 55 प्रविष्टियों ने मेले की शोभा बढ़ाई। इसी प्रकार फोलियेज प्लान्ट में 100 प्रविष्टियाँ व परिरक्षित उत्पादों की 121 प्रविष्टियों के साथ ही कुल 1018 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई तथा उन्हें मेले में शामिल किया गया। इनमे से 91 प्रविष्टियों को प्रथम 75 को द्वितीय व 53 को सराहना पुरस्कार प्रदान किये गये। फसल वर्ग में कुल 43 प्रविष्टियॉं प्राप्त हुई तथा गेहूं, चना व सरसों में प्रथम व द्वितीय पुरस्कार प्रदान किये गये। मेले के आयोजन में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, वेदान्ता-हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, निको-ओर्गो, वण्डर सीमेन्ट, मोन्सेन्टो, नाबार्ड़, इफको़, पी.आई.इण्डस्ट्रीज ने भी सहभागिता प्रदान की। मेले में कई निजी संस्थाओं ने अपनी प्रौद्योगिकी व उत्पाद प्रदर्शित किये। कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी गतिविधियों का प्रदर्शन किया। पुष्प, फल एवं सब्जी प्रदर्शनी रात तक जारी रही जिसका शहर के नागरिकों ने भी अवलोकन किया। विज्ञान मेला लघु उत्पादों हेतु कृषि प्रौद्योगिकी पर केंद्रित था। इसमें चार तकनीक सत्र हुए। इन सत्रों में गुजरात, मध्यप्रदेश सहित राजस्थान के 11 से अधिक जिलों से आये कृषकों ने बहुत ही उत्साह के साथ भाग लिया। मेला संयोजक डॉ. इन्द्रजीत माथुर ने बताया कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारी निदेशक अनुसंधान डॉ. पी. एल. मालीवाल, मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विमल शर्मा, राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. आर. मालू, सीटीएई अधिष्ठाता डॉ. एन. एस. राठौड़ आदि भी उपस्थित थे।