आओ महावीर को जानें विषयक संगोष्ठी
Udaipur. भगवान महावीर स्वामी ने जो भी कहा उस पर अमल किया, लेकिन वर्तमान समय में सिद्धान्तों में भेद नहीं फिर भी हम एक नहीं हो पा रहे हैं। ये विचार अहमदाबाद के तीर्थंकर वाणी के सम्पादक शेखरचंद जैन ने व्यहक्त किए।
वे शुक्रवार को महावीर जैन परिषद के तत्वावधान में विज्ञान भवन सभागार में ‘आओ महावीर को जाने’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंसने कहा कि भगवान महावीर का प्रसिद्ध उदघोषणा वाक्य रहा है जियो और जीने की सुविधा दो। इस वाक्य में मनुष्य को ही नहीं प्राणी मात्र को कल्याण की भावना समाई हुई है लेकिन वर्तमान में महावीर के अनुयायियों में यह भावना नजर नहीं आ रही है। भगवान महावीर ने जो कहा, उस पर स्वयं ने अमल किया। उन्होंने अहिंसा का उपदेश नहीं दिया परन्तु स्वयं सहन करते हुए निर्विकार भाव से रहे। उन्होंने मनुष्य मात्र को जीने के अधिकार का शंखनाद सुनाया जिसमें धर्म, भाषा, प्रदेश, लिंग और ऊंच-नीच, छुआछूत का कोई भेद नहीं था क्योंकि जैन धर्म किसी सम्प्रदाय या व्यक्ति का नहीं है ‘वास्तव में वह जन धर्म है।’
जैन ने कहा कि महावीर को जानने व पहचाने के लिए पहले मनुष्य के रूप में पहचानना होगा। जैन धर्म का मूल या यों कहे कि महावीर की वाणी का मूल दया, क्षमा, करूणा और परस्परोपग्रहो जिवाणाम् रहा है। महावीर ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पंच महाव्रतों का पूर्ण रूप से पालन किया परन्तु दूसरों का उनके पालन का दबाव नहीं डाला परन्तु आश्चर्य इस बात का हुआ कि लोग उनकी ओर ऐसे खिंचते गये जैसे लोहा चुम्बक की ओर खिंचता है। महावीर ने जन भाषा को अपनाकर जन-जन के हृदय में अपना स्थान बनाया जिस समाज में स्त्रियों को वस्तु समझकर क्रय-विक्रय किया जाता था उनका सम्मान किया एवं शोषण से मुक्ति दिलाई। विश्व ने भले ही महात्मा गांधी के नाम से अहिंसा को स्वीकार किया हो परन्तु उसका मूल तो महावीर की अहिंसा ही है। यदि आज का विषय जो बारूद के ढेर पर बैठा है, वह महावीर को जान ले तो निश्चित रूप से शांति हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म के वर्तमान अनुयायी भगवान के 95 प्रतिशत सिद्धान्तों को एक अनुरूप मानते है उनमें कोई भेद नहीं करते है लेकिन फिर भी हम एक नहीं हो सकते है। हम जैन है और परफेक्ट मैन है, वही जैन है। परफेक्ट मैन के लिए किसी को सताने की भावना न हो निरर्थक किसी को दु:ख नहीं पहुंचाए। किसी के कार्य में विघ्न न बने और दोगलापन नहीं अपनाएं वही व्यक्ति परफेक्ट मैन व जैन है।
संगोष्ठी का शुभारम्भ राजकुमारी कोठारी के मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित एवं माल्यार्पण कर समारोह का शुभारम्भ किया। अध्यक्षता समाजसेवी रमेश बारोला ने करते हुए कहा कि महावीर स्वामी के उपदेशों एवं सिद्धांतों के वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्ती आवश्यकता है। स्वागत उद्बोधन महावीर जैन परिषद के संयोजक राजकुमार फत्तावत ने दिया। समन्वयक भंवर सेठ ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया और महावीर व उनके सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला। इस संगोष्ठी की व्यवस्था का दायित्व समता युवा संस्थान ने संभाला। संगोष्ठी में मंचासीन अतिथियों का विनोद भोजावत, यशवंत आंचलिया, तेजसिंह बोल्या, गणेशलाल मेहता, नरेन्द्र सिंघवी, शांतिलाल नागदा, चौसरलाल कच्छारा, मनीष गलुंडिया ने पगड़ी स्मृति चिन्ह, शॉल उपरणों से स्वागत किया। संचालन डॉ सुभाष कोठारी ने किया। धन्यवाद परिषद के कोषाध्यक्ष कुलदीप नाहर ने दिया।
संगीतमय नमस्कार महामंत्र का जाप आज : महावीर जैन परिषद के संयोजक राजकुमार फत्तावत ने बताया कि संगीतमय नमस्कार महामंत्र का जाप शनिवार को सायं नगर निगम प्रांगण में होगा। इस जाप का समापन 1008 लोगों द्वारा हाथों में अलग-अलग दीपक लेकर एक साथ सामूहिक आरती के साथ होगा जिसकी व्यवस्था बड़ी सादड़ी जैन मित्र मण्डल द्वारा की जाएगी।