Udaipur. एअरलाइंस द्वारा बुकिंग एजेंट्स का कमीशन क्रमश: कम करते रहने और अब बिल्कुल बंद कर देने से अपना खर्च तक नहीं निकाल पाने वाले मजबूर एअर टिकट बुकिंग एजेंट्स 7 मई को देशव्यापी बहिष्कार करेंगे और किसी भी एअरलाइन का टिकट बुक नहीं करेंगे। सर्वर बंद रहने से इस दिन ऑनलाइन बुकिंग भी नहीं हो पाएगी।
यह जानकारी उदयपुर एअर ट्रेवल एजेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आज पत्रकार वार्ता में दी। एसोसिएशन के महादेव दमानी ने बताया कि गत 5 वर्षों से निरंतर प्रयासों के बावजूद एअरलाइंस कंपनियां ट्रेवल एजेंट्स का बंद पारिश्रमिक शुरू नहीं कर रही हैं। इसीलिए अब अपनी आजीविका को चलाने के लिए हमें यह अप्रिय निर्णय करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि कमीशन में निरंतर कमी करते हुए पहले 12, फिर 9, 7, 5, 3, 1 प्रतिशत दिया जाने लगा और अब तो स्थिति यह है कि कुछ भी नहीं मिल रहा है। उदयपुर जैसे पर्यटकों के शहर में किसी भी एअरलाइंस का कार्यालय नहीं है। यहां से सारी सुविधाएं ट्रेवल एजेंट ही दे रहे हैं। इसके बावजूद हमें हमारा नियत पारिश्रमिक तक नहीं देना कहां का न्याय है? किसी भी एअरलाइन का इन्फ्रास्ट्रक्चर यहां नहीं है। ऐसे में सिर्फ एजेंट्स ही सारा काम कर रहे हैं। उन्होंने बतायाकि उदयपुर से करीब 40 करोड़ रुपए प्रतिमाह की टिकट बुकिंग की जाती है। उदयपुर में 40 और उदयपुर रीजन में 70 एजेंसियां काम कर रही हैं।
एसोसिएशन के कोमल कोठारी ने बताया कि विमान कंपनियों ने टिकट निरस्तीकरण एवं दिनांक परिवर्तन के शुल्क में भी अप्रत्याशित वृद्धि कर सीधे पैसेंजर की कमर तोड़ दी है। पहले 100 रुपए लगते थे जिसकी बजाय अब उड़ान से दो घंटे पूर्व तक 1700 रुपए और इसके बाद नो शो टिकट हो जाता है जिससे उसे कुछ भी राशि नहीं मिलती। आश्चर्य की बात यह कि अगर पांच हजार रुपए का टिकट है तो उसमें बेसिक फेयर तो मात्र 1500 रुपए ही होता है बाकी के 3500 रुपए टैक्स के लगते हैं। जब व्यक्ति ने उड़ान ही नहीं भरी तो फिर वह क्यों पे करे? उसे पूरा नहीं तो टैक्स का पैसा ही वापस तो मिलना चाहिए।
सिद्धार्थ चतुर ने कहा कि कंपनियों ने कुछ समय पूर्व ट्रांजेक्शन शुल्क लगाया था जो पैसेंजर से ही वसूला जाना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में इसे गलत करार दिया और वापस लेने को बाध्य किया जिससे ट्रांजेक्शन शुल्क वापस लिया गया। ऑनलाइन पोर्टल और हमें उपलब्ध कराई गई दरों में भी विरोधाभास होता है जिससे यात्रियों का हम पर से विश्वास उठ गया है। ट्रेवल एजेंट्स के माध्यम से देश की करीब 90 प्रतिशत व्यापारिक गतिविधियां संचालित की जाती हैं। इसके बावजूद एजेंट्स को पारिश्रमिक के रूप में एक प्रतिशत कमीशन भी नहीं दिया जा रहा है।
अशोक जोशी ने कहा कि सिंगापुर एअरलाइंस, आस्ट्रेलिया की एअरलाइंस वहां के एजेंट्स को 5 व 7 प्रतिशत कमीशन भुगतान कर रही है लेकिन भारत में आने के बाद वे भी हमें कुछ नहीं देती। क्योंकि यहां की पेरेन्ट एअरलाइन ही जब कुछ नहीं दे रही है तो वह भी उसी को फॉलो कर रही है। उन्होंने कहा कि हम अपने हक के लिए तो लड़ ही रहे हैं लेकिन साथ ही इसमें कहीं न कहीं पैसेंजर को भी फायदा होगा। उससे अनुचित टैक्स व राशि नहीं वसूली जाए। इस अवसर पर शहर की विभिन्नफ एजेंसियों के सी. एस. चौधरी, मयंग सरुपरिया, संजय कोठारी, अमित सिसोदिया, सुशील कौशिक आदि भी मौजूद थे।