सत्रान्त समारोह हाईन्डमोस्ट का समापन
Udaipur. वर्तमान में शिक्षक सबसे भयग्रस्त है। जिस तरह सरकार ने कानून के माध्यम से हाथ-पैर बांध दिये हैं, ऐसा लगता है शिक्षक क्लास रूम में जाते हुए बच्चोंक से बात करने के तरीकों पर विचार करता रहता है। वह इतना ही भयग्रस्त रहा तो क्या सही भारत का निर्माण कर सकेगा।
ये विचार आलोक संस्था न के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने सत्रान्त समारोह के समापन समारोह “हाईन्डमोस्ट” में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिस तरह की चुनौतियां शिक्षक के सामने खड़ी हो गई है, ऐसे में उसको मेन्टर बनना होगा मॉनिटर बनने से शिक्षक का काम अब नहीं होने वाला है। उसे न सिर्फ क्लास रूम के सेटअप को बदलना होगा वरन् जहाँ वह पहले ब्लेकबोर्ड के सामने जो लेक्चर दिया करता था अब वो लेक्चर न देकर अब खुद षिक्षक को छात्र की डेस्क पर जाकर उसके साथ सवांद स्थापित करना होगा। इसी संवाद के माध्यम से बालकों में परिवर्तन करने की स्थिति में बन पायेगा।
डॉ. कुमावत ने कहा कि हम नई चुनौतियों के लिये केवल षिक्षकों को ही तैयार नहीं करे वरन् बालकों को भी नई चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार करें। सत्र के स्लोगन का भी लोकार्पण करते हुये डॉ. कुमावत ने कहा कि आने वाला सत्र स्वामी विवेकानन्द को समर्पित है। अतः इस सत्र में उठो जागो के ध्येय वाक्य को अपनाया गया। उठने का तात्पर्य नीचे के तबके को उठना होगा। जो उठा हुआ है उसको दूसरों की सहायता करते उन्हें ऊपर उठाने की एक कर्मशीलता समाज में स्थापित करनी होगी। जागरण, जन जागरण की दृष्टि से सबको जागना होगा। इस अवसर पर डॉ. कुमावत ने सामाजिक चेतना यात्रा के बारे में बताया कि गर्मिर्यों में 45 दिनों तक यह यात्रा शहरों में जायेगी और सामाजिक समरसता का संदेश प्रदान करेगी।
मुख्य अतिथि संस्थान के चेयरमेन श्याहमलाल कुमावत ने कहा कि वर्तमान में शिक्षक की भूमिका बड़ी कठिन हो गई है। शिक्षकों को समय के साथ-साथ चलना होगा। शिक्षकों को अनेक कठिनाईयों को सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में समाज को शिक्षकों को सहयोग करना होगा। इस अवसर पर डॉ. प्रदीप कुमावत का उनकी उपलब्धियों के लिये अभिनन्दन किया गया।