कृषि यंत्र एवं मशीनरी की 29 वीं कार्यशाला का शुभारम्भ
Udaipur. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वैविद्यालय के संघटक अभियांत्रिकी महाविद्यालय के कॉन्फ्रेन्स हाल में कृषि अनुसंधान परियोजना नई दिल्ली, द्वारा संचालित अखिल भारतीय समन्वित परियोजना (कृषि यंत्र एवं मशीनरी) की 29 वीं कार्यशाला का उद्घाटन प्रातः 10 बजे हुआ।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने बताया कि देश ने गत वर्षों में कृषि में आशातीत वृद्वि की है। इसमें कृषि अभियांत्रिकी एवं यंत्रीकरण का महत्वपूर्ण योगदान है। आज किसान छोटे-बडे़ हर कृषि कार्यों में कृषि यंत्रों का उपयोग कर रहा है। उन्होंने विभिन्न कृषि जलवायुविय क्षेत्रों व फसल के आधार पर लघु एवं सीमान्त कृषकों के लिए विशेष तौर पर राजस्थान जैसी विकट भौगोलिक स्थितियों के लिए सस्ते व टिकाउ कृषि उपकरणों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि देष में भोजन व पोषण सुरक्षा खाद्य प्रंसस्करण, जैविक व परिशुद्ध (प्रीसीजन) खेती के लिये कृषि यंत्रो का विकास आवश्यसक है।
कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि कृषि विश्वसविद्यालय बीकानेर के पूर्व कुलपति व डा. के. एन. नाग ने बताया कि कृषि में मैकेनाइजेशन तभी सफल हो सकता है जब कृषि यंत्रों को प्रभावी रूप से बनाया व इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने बताया कि राजस्थान मे 1900 कृषि अभियंताओं की आवष्यकता है। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी में प्रवेष हेतु सीटें बढाई जानी चाहिए।
अध्यक्षता कर रहे भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना नई दिल्ली के उपमहानिदेषक (अभियांत्रिकी) डा. एम. एम. पांडे ने भावपूर्ण माहौल में कहा कि 1979 में पहली एआईसीआरपी कार्यषाला भी इसी हाल में आयोजित की गई थी तथा इन तीन दशकों में परियोजना के द्वारा कृषि अभियांत्रिकी में आशातीत विकास हुआ है। उन्होंने बताया कि कृषि में श्रम व लागत को कम करने के लिए कृषि यंत्रों का उपयोग आवश्यैक है। इससे उत्पादन व आय में वृद्वि व समय की बचत संभव है। उन्होने बताया कि कृषि अभियांत्रिकी के विकास हेतु केन्द्र सरकार ने 12 वी पंचवर्षीय योजना के दौरान दो हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है उन्होनें कृषि अभियांत्रिकी के नीती निर्माण हेतु अनेक सुझाव भी दिए।
कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के उपाध्यक्ष केन्द्रीरय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल के निदेशक डा. प्रीतम चन्द्रा ने बताया कि आज राज्य स्तर पर कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय स्थापित करने की आवश्यनकता है जिससे न सिर्फ कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय स्तर पर उपयोग में लाए जाने वाले कृषि यंत्रों में सुधार भी हो सकेगा उन्होंने ग्रामीण स्तर पर लघु कृषकों को कृषि यंत्रों को किराये पर व सांझा उपयोग करने पर भी जोर दिया।
अखिल भारतीय समन्वित परियोजना (कृषि यंत्र एवं मषीनरी) के परियोजना समन्वयक डा. सी, आर, मेहता ने परियोजना के विभिन्न 24 केंद्रों पर किए जा रहे कायों की प्रस्तुती दी एवं बताया कि परियोजना के अंतर्गत अनेक कृषि यंत्रों का विकास किया गया है, अनेक कृषि यंत्रों की जांच की गई व अनेक कृषि यंत्रों के सुचारू उपयोग के लिए प्रदर्षन भी लगाऐ गऐ। इस दौरान परियोजना से जुडे़ 24 केन्द्रों के कृषि अनुसंधान अभियंता अपने – अपने केन्द्रो पर किये गये अनुसंधान कार्यों एवं भावी योजनाओं पर गहन चर्चा की करेंगे।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में विष्वविद्यालय के अनुसंधान निदेषक डा. पी. एल. मालीवाल ने स्वागत उद्बोधन देते हुए विष्वविद्यालय की अनुसंधान गतिविधियों पर प्रकाष डाला। फार्म मषीनरी विभाग एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय गतिविधियों पर प्रकाष डालते हुए महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एन. एस. राठौड़ ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया एवं बताया कि हाल ही में कुलपति प्रो. गिल ने फार्म मशीनरी विभाग को 40 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है इसके लिए उन्होंने कुलपति का आभार व्यक्त किया।
कार्यषाला के आयोजन सचिव व परियोजना अधिकारी डा. वाई. सी. भट्ट ने बताया कि कृषि अनुसंधान परियोजना नई दिल्ली, द्वारा संचालित अखिल भारतीय समन्वित परियोजना (कृषि यंत्र एवं मषीनरी) की 29 वीं कार्यशाला का आयोजन उदयपुर में किया जा रहा है जो कि एक गर्व की बात है। कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रान्तों के कृषि विश्विविद्यालयों में परियोजना से जुडे़ 24 केन्द्रों के कृषि अनुसंधान अभियंता, केन्द्रिय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल, मशीनरी परिक्षण संस्थान बुदनी, कृषि मंत्रालय, नई दिल्ली एवं विभिन्न केन्द्रो से 70 से ज्यादा अधिकारी भाग ले रहे हैं।
विश्वनविद्यालय के मीडिया प्रभारी डा. सुबोध शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान सीआइएई भोपाल (आईसीएआर) भोपाल स्थित एआईसीआरपी की ‘अनुसंधान गतिविधियां- 2013‘ एवं फार्म मषीनरी विभाग, अभियांत्रिकी महाविद्यालय द्वारा रचित ‘परिशुद्ध (प्रीसीजन) खेती‘ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया इस अवसर पर विष्वविद्यालय के अनुसंधान व प्रसार षिक्षानिदेषक, विभिन्न अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य एवं शोधार्थी उपस्थ्ति थे। संचालन डा. दीपक शर्मा ने किया एवं धन्यवाद डा. वाई. सी. भट्ट ने ज्ञापित किया।