Udaipur. श्रेया भारती सामुदायिक केन्द्र में महिला अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित ग्रामीण महिलाओं के लिए मां-बेटी सम्मेलन पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के चांसलर प्रो. भवानी शंकर गर्ग ने कहा कि मां बच्चों की प्रथम गुरू होती है तथा मां-बेटी का रिश्ताल भावानात्मक रूप से जुड़ा होता है।
मुख्य अतिथि के रूप में गर्ग ने कहा कि मां बेटे-बेटी में अन्तर नहीं करे। उन्होंतने सभी महिलाओं को संकल्प दिलाया कि सभी को समान अवसर प्रदान करे साथ ही बेटी पैदा होने पर उसका स्वागत ढोल-नगाड़े बजाकर करे। उन्होंने कहा कि आज की नारी भारतीय नारी एक होते हुए भी वह अनूक रूपों में अभिव्यक्ति करने में सक्षम है। वह जहा एक आदर्श गृहिणी है। वह पूजनीय मां भी है। नारी शक्ति रूपा है, जगत जननी है, शिक्षा में पुरूष पर उनकी आर्थिक निर्भरता को दूर किया।
अध्यक्षता करते हुए जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के वाइस चांसलर प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने महिलाओं से आव्हान किया कि केन्द्र के माध्यम से विभिन्न व्यावसायिक व शैक्षणिक प्रशिक्षण कार्यक्रमो द्वारा अपनी क्षमताऐं बढाकर आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बनकर समाज मे एक मिसाल कायम करें तथा महिलाऐ सवंय आत्म निर्भर बनें।
विशिष्टे अतिथि महिला अध्ययन विभाग की निदेशिका डॅा. मंजू माण्डोत ने कहा कि किशोरावस्था में बेटी के शारीरिक बदलावों पर मां को खुलकर चर्चा करनी चहिए जिससे वो विभिन्न भ्रांतियों का शिकार ना हो तथा विभाग द्वारा महिला के हितों के लिए विभिन्न कार्यक्रम केन्द्र पर निरन्तरता में आयोजित किए जाएंगे। जनशिक्षण एंव विस्तार कार्यक्रम निदेशालय के निदेशक डॉ. ललित पाण्डेय, कम्युनिटी सेन्टर्स विभाग के निदेशक हरिश गधंर्व व देवीलाल गर्ग ने भी विचार व्य क्ती किए। संचालन चितरंजन नागदा ने किया तथा धन्यवाद की रस्म केन्द्र प्रभारी साकरोदा राकेश दाधीच ने किया।